मौत की सजा पाए नेवी के 8 पूर्व अफसरों को जीवनदान की उम्मीद, भारत की अर्जी को कतर कोर्ट की मंजूरी
कतर कोर्ट ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों के मौत की सजा मामले में भारत की तरफ से की गई अपील को स्वीकार कर लिया गया है. जिससे इन अधिकारियों को राहत मिलने की उम्मीद जाग गई है.
highlights
- कतर में सजायाफ्ता नेवी के पूर्व अफसरों को राहत
- कतर कोर्ट ने स्वीकार की भारत की अर्जी
- पिछले महीने सुनाई थी मौत की सजा
New Delhi:
कतर में पिछले साल जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को जीवनदान मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. कतर कोर्ट ने इन अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई है. हालांकि अब कतर कोर्ट ने भारत की ओर इन अधिकारियों की मौत की सजा के खिलाफ की गई अपील को स्वीकार कर लिया है. जिससे इन अधिकारियों को राहत मिलने की उम्मीद है. सूत्रों के मुताबिक, इन 8 भारतीयों ने व्यक्तिगत तौर पर अदालत से यह अपील की है, हालांकि, इसमें भारत सरकार ने भी उनकी मदद की है. कतर की एक निजी कंपनी अल दहरा में काम करने वाले पूर्व नौसेना अधिकारियों को पिछले साल अगस्त में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
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पिछले महीने सुनाई थी मौत की सजा
बता दें कि कतर की एक अदालत ने 26 अक्टूबर को आठों भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी. भारत ने कतर की अदालत के इस फैसले को चौंकाने वाला बताया था. साथ ही इस मामले में सभी कानूनी विकल्प तलाशने की बात कही थी. तब सरकार ने कहा था कि कतर अदालत की ओर से सजायाफ्ता भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को राहत दिलाने की कोशिश की जा रही है. फिलहाल मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की गई है जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.
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अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए आरोप
इस मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत इस मामले में कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है. साथ ही सरकार भारतीय नागरिकों को सभी कानूनी और कांसुलर संबंधी मदद देना जारी रखेगी. इस पूरी प्रक्रिया में फैसले को कतर सरकार ने गोपनीय रखा. इस मामले में न तो कतर के अधिकारियों और ना ही नई दिल्ली ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया गया है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है.
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तब विदेश मंत्रालन ने कहा था कि, "हम मृत्युदंड के फैसले से बेहद स्तब्ध हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं. हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं." विदेश मंत्रालय ने इस मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था कि, 'हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे." इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने इस मामले को कतर के सामने उठाने की बात कही थी, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि, "हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे. इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा."
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गिरफ्तारी के सवा साल बाद मौत की सजा
इन नेवी के इन 8 पूर्व अधिकारियों को कतर ने पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था. जिन्हें इसी साल 26 अक्टूबर को मौत की सजा सुनाई गई. ये सभी अधिकारी निजी सुरक्षा कंपनी अल दहरा ग्लोबल टेक्नोल़जीस के साथ काम करते थे. ये कंपनी एक ओमानी नागरिक, रॉयल ओमानी वायु सेना के सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर के स्वामित्व वाली एक रक्षा सेवा प्रदाता कंपनी है. नेवी के इन सभी पूर्व अधिकारियों पर कथित तौर पर जासूसी करने का आरोप लगा था.
कतर में भारत के राजदूत ने इसी साल एक अक्टूबर को जेल में इन कर्मियों से मुलाकात की थी. इतना ही नहीं, इन आठ में से कुछ के परिवार ने भी कतर में मुलाकात की. जिन अधिकारियों को मौत की सजा दी सुनाई गई है उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूरेनेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश का नाम शामिल है.
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