पंजशीर में तालिबान को मिला पाकिस्तान का साथ, एयरफोर्स ने किए कई हमले
पंजशीर में पाकिस्तानी एयरफोर्स के ड्रोन से हमला किया गया है. अफगानिस्तान के सामंगन प्रांत से पूर्व सांसद जिया अरियनजादो ने यह बात कही है.
काबुल:
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बावजूद पंजशीर घाटी तक ना पहुंच पाने में नाकाम तालिबान ने इसे हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है. पंजशीर के खिलाफ जारी जंग में अब उसे पाकिस्तान का भी साथ मिला है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजशीर में पाकिस्तानी एयरफोर्स ने कई ड्रोन हमले किए हैं. इस बात का खुलासा अफगानिस्तान के सामंगन प्रांत से पूर्व सांसद जिया अरियनजादो ने भी किया है. तालिबान दावा कर रहा है कि उसने पंजशीर घाटी पर कब्जा कर लिया है लेकिन रेजिस्टेंस फ्रंट ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है.
रजिस्टेंस फ्रंट ने दिया सीजफायर का प्रस्ताव
पंजशीर पर तालिबान के लगातार हमलों के बाद सोमवार को पंजशीर में रजिस्टेंस फ्रंट ने तालिबान को सीजफायर का भी प्रस्ताव दिया है. जानकारी मिली है कि सालेह फिलहाल अज्ञात स्थान पर सुरक्षित हैं. वहीं असद महमूद पिछले तीन दिनों से ताजिकिस्तान में हैं. दरअसल पंजशीर में रजिस्टेंस फ्रंट लगातार कमजोर हो रहा है. रविवार हो रेजिस्टेंस फ्रंट के प्रवक्ता और घाटी में तालिबान से लोहा ले रहे अहमद मसूद के करीबी फहीम दश्ती की मौत हो गई है.
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अमरुल्लाह सालेह बोले- घुटने नहीं टेकेंगे
अफगानिस्तान में अभी तालिबान के खिलाफ पंजशीर विद्रोहियों का नेतृत्व कर रहे अमरुल्लाह सालेह ने बताया कि किस तरह उन्होंने काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अपनी पत्नी और बेटी की तस्वीरों को नष्ट कर दिया. 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अमरुल्लाह सालेह कह चुके है कि वो तालिबान के सामने सरेंडर नहीं करेंगे. उन्होंने बताया है कि वो कभी भी तालिबान के आगे घुटने नहीं टेकेंगे. उन्होंने अपने सुरक्षा गार्ड को भी कह रखा था कि अगर वो घायल हो गए तो वो उनके सिर में गोली मार दे. साहेल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्णयों की भी निंदा कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की ऐसी हालत के पीछे किसी और का नहीं बल्कि पाकिस्तान का हाथ है.
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UN से लगाई गुहार
अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने पंजशीर में तालिबानी संकट पर संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखा है. सालेह ने संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक नेताओं से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने तालिबान से सुरक्षित अफगानिस्तान के अंतिम गढ़ पंजशीर को बचाने के लिए अपने संसाधनों को तुरंत जुटाने के लिए कहा. UN को लिखी चिट्ठी में सालेह ने कहा है कि काबुल और अन्य बड़े शहरों में तालिबान के कब्जे के बाद पंजशीर पहुंचे स्थानीय महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और 10,000 IDPs समेत करीब 2,50,000 लोग इन घाटियों के अंदर फंस गए हैं. अगर इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया, तो पूरी तरह मानवीय तबाही, जिसमें भुखमरी, सामूहिक हत्या और नरसंहार देखने को मिलेगा.
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