Corruption के आरोपों का सामना करने शाहबाज शरीफ का बेटा लंदन से लौटा

पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में यह एक आम चलन है कि सत्तारूढ़ सरकार या राजनीतिक दल अपने विरोधियों के खिलाफ किस्म-किस्म के कानूनी मुकदमें दायर करता है. इसका मकसद यही होता है कि उन्हें कानूनी पचड़ों में उलझा कर सक्रिय राजनीति से दूर रखा जाए.

पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में यह एक आम चलन है कि सत्तारूढ़ सरकार या राजनीतिक दल अपने विरोधियों के खिलाफ किस्म-किस्म के कानूनी मुकदमें दायर करता है. इसका मकसद यही होता है कि उन्हें कानूनी पचड़ों में उलझा कर सक्रिय राजनीति से दूर रखा जाए.

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Nihar Saxena
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Shahnaz Suleman Sharif

पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ बेटे सुलेमान के साथ.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

पाकिस्तान (Pakistan) के वजीर-ए-आजम शाहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) का एक बेटा रविवार को चार साल बाद लंदन घर लौट आया है. उसने घर-वापसी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने के लिए की है, जो उसके खिलाफ 2020 में दायर किए गए थे. शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी के प्रवक्ता अता तरार ने कहा कि सुलेमान शाहबाज रविवार तड़के इस्लामाबाद पहुंचे. फिर प्रधानमंत्री आवास पर अपने पिता से मिलने के बाद गृहनगर लाहौर के लिए रवाना हो गए. सुलेमान शाहबाज के वकीलों ने पिछले सप्ताह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय से उनके लिए प्रोटेक्टिव बेल प्राप्त की थी, जिसकी मियाद मंगलवार तक प्रभावी रहेगी. इस सुरक्षात्मक जमानत की वजह से संघीय जांचकर्ता सुलेमान शहबाज को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं. साथ ही यह सुलेमान को ट्रायल कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण का मौका भी उपलब्ध कराती है.

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मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है भ्रष्टाचार का यह मामला
लाहौर में संघीय जांच एजेंसी ने नवंबर 2020 में शरीफ और उनके दो बेटों हमजा और सुलेमान पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा केस दर्ज किया था. सुलेमान 2018 के पाकिस्तान के आम चुनाव से पहले ही लंदन जा चुके थे. आम चुनाव से पहले शाहबाज शरीफ और उनके दोनों बेटों पर संघीय जांच एजेंसी और भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ने कई मामलों में केस दर्ज किए थे. अक्टूबर में एक अदालत ने शाहबाज शरीफ और उनके एक बेटे हमजा को सभी आरोपों से बरी कर दिया था, लेकिन लंदन जाने के बाद सुलेमान पर कभी मुकदमा नहीं चला था. एफआईए ने इन तीनों पर 2008 और 2018 के बीच 16.3 बिलियन पाकिस्तानी रुपये के धन शोधन का आरोप लगाया था.

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विरोधियों पर मुकदमेंबाजी पाकिस्तानी राजनीति का आम चलन
पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में यह एक आम चलन है कि सत्तारूढ़ सरकार या राजनीतिक दल अपने विरोधियों के खिलाफ किस्म-किस्म के कानूनी मुकदमें दायर करता है. इसका मकसद यही होता है कि उन्हें कानूनी पचड़ों में उलझा कर सक्रिय राजनीति से दूर रखा जाए. गौरतलब है कि निर्वासित जीवन जी रहे पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ को इस साल की शुरुआत में नया वजीर-ए-आजम बनाया गया था. उन्हें यह पद हफ्ते भर की राजनीतिक उठा-पटक के बाद मिला था, जिसमें तत्कालीन पीएम इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक लाया गया था.

HIGHLIGHTS

  • मनी लॉन्ड्रिग के आरोपों और मुकदमों का सामना करने पहुंचे सुलेमान शरीफ
  • शाहबाज शरीफ और दो बेटों के खिलाउ करप्शन से जुड़े कई मामले थोपे गए
  • शाहबाज शरीफ और उनके एक बेटे हमजा को अदालत कर चुकी है बरी
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