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इमरान खान ने पुलवामा में 7 नागरिकों के हत्या की निंदा की, कहा- संयुक्त राष्ट्र में उठाएंगे मुद्दा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को हुए 7 नागरिकों की हत्या की निंदा की और इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने की बात कही.

Updated on: 16 Dec 2018, 11:11 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को हुए 7 नागरिकों की हत्या की निंदा की और इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने की बात कही. इमरान खान ने ट्विटर पर घटना की निंदा करते हुए लिखा कि कश्मीर की समस्या को सिर्फ बातचीत के जरिये सुलझाया जा सकता है न कि हिंसा और हत्या से. इमरान खान ने ट्वीट किया, 'भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा पुलवामा में निर्दोष कश्मीरी नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा करता हूं. सिर्फ बातचीत से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है न कि हिंसा और हत्या से. हम पुलवामा में भारत के मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाएंगे और सुरक्षा परिषग से जम्मू-कश्मीर के जनमत संग्रह के वादे को पूरा करने की मांग करेंगे.'

इसके साथ एक और ट्वीट करते हुए इमरान खान ने कहा कि कश्मीरियों को उनके भविष्य का निर्णय खुद अवश्य करने देना चाहिए. बता दें कि शनिवार को आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया था और उसके बाद पुलवामा के सिरनू गांव में सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में 7 नागरिक मारे गए और 35 अन्य घायल हो गए थे.

वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस घटना की निंदा की और कहा कि जम्मू-कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का विवाद है जो संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के एजेंडे में लंबित है और वास्तविकता से भारत का अलगाव खतरनाक है. मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान सरकार और जनता जम्मू-कश्मीर के लोगों के संघर्षों में नैतिक, राजनयिक और राजनीतिक रूप से मदद करती रहेगी.

पुलवामा जिले में नागरिकों की हत्याओं के खिलाफ अलगाववादियों के बंद से रविवार को जनजीवन प्रभावित रहा. अलगाववादी नेताओं सैयद अली गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया गया था और मुहम्मद यासीन मलिक हिरासत से बचने के लिए अंडरग्राउंड हो गए.

घाटी में पिछले कुछ महीनों के इतिहास में शनिवार एक सबसे रक्तरंजित दिन रहा. इलाके में आतंकियों के छिपे होने की गुप्त सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और इसके बाद सिरनू गांव में मुठभेड़ शुरू हो गई. पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए और एक जवान शहीद हो गया था. मारे गए तीन आतंकवादियों में से एक जहूर अहमद ठोकर ने आतंकवाद में शामिल होने के लिए सेना छोड़ दी थी.

मुठभेड़ के तुरंत बाद, कई नागरिक प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गई, जिसके कारण भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की और पेलेट्स दागे. संघर्ष के दौरान गोलीबारी में घायल हुए दो युवक आमिर अहमद और आबिद हुसैन को अस्पताल पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि 5 अन्य घायल प्रदर्शनकारियों -सुहैल अहमद, शाहबाज लियाकत डार, तौसेफ अहमद, मुर्तजा बशीर- की बाद में मौत हो गई थी.

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इस घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को ट्वीट किया था, 'कश्मीर में एक और खूनी सप्ताहांत. छह प्रदर्शनकारी मारे गए, ड्यूटी पर तैनात एक जवान शहीद हो गया. सुबह की मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों सहित 10 लोग मारे गए. मुठभेड़ स्थल से कई लोगों के घायल होने की खबर है. क्या भयानक दिन है.'

उमर ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर निशाना साधते हुए कहा था, 'राज्यपाल मलिक के प्रशासन में केवल एक काम और सिर्फ एक काम है. जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना और घाटी में शांति बहाल करना. अफसोस की बात है कि एकमात्र यही चीज प्रशासन नहीं कर पा रहा है. प्रचार अभियान और विज्ञापन भरे पृष्ठ शांति नहीं लाते.'

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पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था, 'हम अपने युवाओं के ताबूतों को कब तक कंधा देते रहेंगे? पुलवामा में आज मुठभेड़ के बाद कई नागरिक मारे गए. कोई भी देश अपने लोगों की हत्या करके युद्ध नहीं जीत सकता है. मैं इन हत्याओं की दृढ़ता से निंदा करती हूं और एक बार फिर इस खून-खराबे को रोकने के प्रयास करने की अपील करती हूं.'