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भारत-पाकिस्तान के लिए यह समय अतीत भूलकर आगे बढ़ने का: जनरल बाजवा

जनरल बाजवा ने कहा कि पूर्व और पश्चिम एशिया के बीच संपर्क सुनिश्चित करके दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को खोलने के लिए भारत (India) और पाकिस्तान के बीच शांति का माहौल होना बहुत आवश्यक है.

Updated on: 19 Mar 2021, 11:25 AM

highlights

  • पाकिस्तान के जनरल बाजवा ने का यह समय अतीत भूल आगे बढ़ने का
  • एक दिन पहले यही बात पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान ने की
  • भारत ने कहा- पाकिस्तान आतंकवाद और शत्रुता मुक्त माहौल तैयार करे

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) ने कहा कि यह भारत और पाकिस्तान के लिए 'अतीत को भूलने और आगे बढ़ने' का समय है. उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच शांति से दक्षिण और मध्य एशिया में विकास की संभावनाओं को खोलने में मदद मिलेगी. जनरल बाजवा ने यहां इस्लामाबाद सुरक्षा वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि विवादों के कारण क्षेत्रीय शांति और विकास की संभावना अनसुलझे मुद्दों के कारण हमेशा बंधक रही है. उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि यह समय अतीत को भूलने और आगे  बढ़ने का है. जनरल बाजवा ने कहा कि पूर्व और पश्चिम एशिया के बीच संपर्क सुनिश्चित करके दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को खोलने के लिए भारत (India) और पाकिस्तान के बीच शांति का माहौल होना बहुत आवश्यक है.
 
पाकिस्तान चाहता है भारत से सामान्य पड़ोसी संबंध
गौरतलब है कि भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, बैर और हिंसा मुक्त माहौल के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध की आकांक्षा करता है. भारत ने कहा था कि इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है कि वह आतंकवाद और शत्रुता मुक्त माहौल तैयार करे. जनरल बाजवा ने कहा, 'हमारे पड़ोसी को विशेष रूप से कश्मीर में एक अनुकूल वातावरण बनाना होगा.' उन्होंने कहा, 'इनमें सबसे अहम मुद्दा कश्मीर का है. यह समझना महत्वपूर्ण है कि शांतिपूर्ण तरीकों के माध्यम से कश्मीर विवाद के समाधान के बिना इस क्षेत्र में शांति की कोई भी पहल सफल नहीं हो सकती है.'

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वजीर-ए-आजम भी दोहरा चुके हैं यही बात
जनरल बाजवा के बयान से एक दिन पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसी स्थान पर यही बयान दिया था. खान ने बुधवार को कहा था कि उनके मुल्क के साथ शांति रखने पर भारत को आर्थिक लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा था कि इससे भारत को पाकिस्तानी भू-भाग के रास्ते संसाधन बहुल मध्य एशिया में सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा था, 'भारत को पहला कदम उठाना होगा. वे जब तक ऐसा नहीं करेंगे, हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं.'