यूक्रेन के पक्ष में यूरोप की मांग पर चीन बोला-पश्चिम को चीन का सम्मान करना सीखना होगा
पश्चिम को चीन का सम्मान करना सीखना होगा, जो शक्तिशाली है लेकिन उससे अलग है
नई दिल्ली:
यूक्रेन पर रूस के हमले की दुनिया के अधिकांश देश निंदा कर रहे हैं. अमेरिका समेत यूरोप के देश रूस से युद्ध बंद करने की अपील कर रहे हैं और फ्रांस, ब्रिटेन सहित कई देशों ने रूस को चेतावनी ही दी है. यूरोपीय देश विश्व के देशों को यूरोप के पक्ष में खड़े होने की अपील कर रहे हैं. पश्चिम ने चीन से अपने पक्ष में खड़े होने और रूस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. बेशक रूस भी चीन से जनता का समर्थन प्राप्त करना चाहता है, लेकिन उसने ऐसा अनुरोध नहीं किया है. यूरोपीय देशों की इस मांग पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. चीन की सरकार से जुड़े एक आधिकारिक मीडिया के माध्यम से बयान आया है कि, "पश्चिम को चीन का सम्मान करना सीखना होगा, जो शक्तिशाली है लेकिन उससे अलग है."
The West demanded China to stand on their side and sanction Russia. Russia of course also wants to get public support from China, but it hasn’t made such a request. The West needs to learn to respect China, which is powerful but different from them.
— Hu Xijin 胡锡进 (@HuXijin_GT) March 1, 2022
यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. ये प्रस्ताव यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा और यूक्रेन से रूसी सेना की तत्काल और बिना शर्त वापसी की मांग को लेकर था जो पास नहीं हो सका. रूस ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव को रोक दिया. सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है. भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया जिस कारण प्रस्ताव को केवल 11 सदस्यों का समर्थन मिल पाया.
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भारत और रूस पुराने रणनीतिक सहयोगी रहे हैं. भारत का आधे से अधिक रक्षा खरीद रूस से ही होता है. रूस भारत का एक विश्वसनीय सहयोगी रहा है. भारत-चीन में सीमा विवाद या पाकिस्तान के साथ भारत के कश्मीर विवाद पर अब तक रूस ने अपनी निष्पक्षता बरकरार रखी है. कश्मीर के मुद्दे पर रूस कह चुका है कि ये मुद्दा भारत पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है. ऐसे में भारत रूस के खिलाफ वोटिंग नहीं कर सकता था.
चीन और रूस के बीच की दोस्ती पिछले कुछ समय में काफी बढ़ी है. वहीं, अमेरिका से चीन के रिश्ते निम्नतम स्तर तक पहुंच गए हैं. फिर भी चीन का रूस के समर्थन में वोटिंग न करना और वोटिंग से दूर रहना- ये अमेरिका की छोटी जीत के रूप में देखा जा रहा है. चीन ने हालांकि कुछ समय पहले यूक्रेन पर रूस के हमले को 'हमला' मानने से ही इनकार कर दिया था.
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