पाकिस्तान (Pakistan) के साथ जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के मसले पर भारत पर कटाक्ष करने वाले तुर्की देश के सुर अभी भी नरम नहीं पड़े हैं. तुर्की (Turkey) के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोग़ान (Recep Tayyip Erdogan) ने संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ (United Nations) के मौके पर दिए भाषण में कश्मीर का फिर से मुद्दा उठाया है. गौरतलब है कि इसके एक दिन पहले ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यह संयुक्त राष्ट्र की बड़ी असफलताओं में से एक है. हालांकि पाकिस्तान समेत तुर्की को भारत के प्रतिनिधि यूएन तिरुमूर्ति ने करारा जवाब दिया.
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बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में एर्दोगान ने कहा कि 'कश्मीर संघर्ष दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के नजरिए से काफ़ी महत्वपूर्ण है. यह भी एक मुद्दा है और स्पेशल स्टेटस खत्म किए जाने के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है.' वहीं एर्दोगान के इस भाषण पर भारत की ओर से कड़ी आपत्ति जाहिर की है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि यूएन तिरुमूर्ति ने कहा कि 'हमने भारतीय प्रदेश जम्मू और कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणी देखी है. वे भारत के आंतरिक मामलों में व्यापक हस्तक्षेप कर रहे हैं, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. तुर्की को अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए साथ ही साथ यह इनकी नीतियों पर भी झलकना चाहिए.'
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इसी साल फरवरी में पाकिस्तान दौरे पर गए एर्दोगन ने कहा था कि 'तुर्की के कैनाकले में जो 100 साल पहले हुआ, अब वही कश्मीर में दोहराया जा रहा है. तुर्की इस दमन के खिलाफ अपनी आवाज उठाना जारी रखेगा. एर्दोगन ने कहा, पाकिस्तान और तुर्की की दोस्ती साझा हितों पर नहीं बल्कि प्रेम पर आधारित है. आज कश्मीर का मुद्दा जितना आपके दिल के करीब है, उतना ही हमारे भी है. पहले की ही तरह हम भविष्य में भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान को समर्थन देना जारी रखेंगे.'
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एर्दोगान के इस बयान का भी भारत ने करारा पलटवार किया था. उस वक्त विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रहे रवीश कुमार ने कहा था कि 'एर्दोगान के बयान से साफ है कि उन्हें ना तो इतिहास की जानकारी है और ना ही कूटनीतिक व्यवहार की समझ है.' रवीश कुमार के मुताबिक, उन्हें इतनी भी समझ नहीं कि उनके बयान से अंकारा के साथ भारत के संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. बेहतर होगा कि तुर्की के राष्ट्रपति भारत के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दें.