तालिबान को भी फांस रहे इमरान, पाकिस्तानी रुपए में व्यापार की पेशकश
इमरान खान सरकार ने अफगानिस्तान से पाकिस्तानी रुपए में लेन-देन करने की घोषणा की है. इस तरह वह अफगानी मुद्रा को किनारे कर अपना आर्थिक साम्राज्य फैलाना चाहता है.
highlights
- अफगानिस्तान से पाकिस्तानी मुद्रा में व्यापार करेगी इमरान सरकार
- ऐसे पाकिस्तान का कब्जा हो जाएगा अफगानी व्यापार-व्यवसाय पर
- तालिबान सरकार को तकनीकी मदद का भी चारा फेंका पाक ने
इस्लामाबाद:
अफगानिस्तान में तालिबान राज से उत्साहित पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के हुक्मरान और खुफिया एजेंसी आईएसआई इसकी आड़ में एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश में हैं. सबसे पहला तो यही है कि तालिबान लड़ाकों की मदद से पाकिस्तान नए सिरे से कश्मीर में फिर आतंक की फसल काटना चाहता है. दूसरे तालिबान को परोक्ष-अपरोक्ष समर्थन देकर वह अपने गेमप्लान पर भी काम कर रहा है. 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा होते ही पाकिस्तान ने अपनी गोटियां बिछानी शुरू कर दी थी. इस कड़ी में उसने आईएसआई चीफ फेज हमीद को अफगानिस्तान भेज पहले-पहल तो तालिबान सरकार में अपनी पैठ गहरी की. अब इस कड़ी में इमरान खान सरकार ने अफगानिस्तान से पाकिस्तानी रुपए में लेन-देन करने की घोषणा की है. इस तरह वह अफगानी मुद्रा को किनारे कर अपना आर्थिक साम्राज्य फैलाना चाहता है.
एक कंगाल दूसरे कंगाल की कर रहा मदद
पाकिस्तान के केंद्रीय वित्त मंत्री शौकत तारिन ने बताया कि इमरान की सरकार ने अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तानी मुद्रा में व्यापार करने का फैसला किया है. इसके लिए पाकिस्तान के हुक्मरानों ने अफगानी मुद्रा समेत अमेरिकी डॉलर की कमी का बहाना बनाया है. तारिन का कहना है कि इसलिए पाकिस्तान अपनी मुद्रा में ही व्यापार करेगा. उन्होंने अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करने के लिए वहां एक टीम भी भेजने की संभावना जताई है. गौरतलब है कि तालिबान राज की वापसी के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी है. इसके अलावा अफगानिस्तान की संपत्तियों को भी जब्त कर दिया है. ऐसे में अंतरिम सरकारकी घोषणा के बावजूद तालिबान की हालत कंगाल जैसी है. ऐसे में खुद कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान ने उसे आर्थिक राहत देने का फैसला किया है.
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तालिबान की अंतरिम सरकार को झेलना पड़ रहा है आर्थिक संकट
गौरतलब है कि इससे पहले पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार अमेरिकी डॉलर में होता था. इस तरह अफगान मुद्रा शक्तिशाली थी, लेकिन पाकिस्तान के इस कदम से पाकिस्तानी मुद्रा का अफगान व्यापारियों और व्यापारिक समुदाय पर कब्जा हो जाएगा. इस कदम के पीछे यही इमरान सरकार की भी मंशा है. जाहिर है भीषण आर्थिक तंगी से जूझ रहे तालिबान के शीर्ष नेताओं को यह फैसला इसलिए भी मंजूर हो रहा है. आंकड़े बताते हैं कि विगत कई दशकों से अस्थिरता का शिकार चल रहे अफगानिस्तान के बजट का 80 फीसदी हिस्सा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद के रूप में आता है, जो अब बंद हो चुकी है. तालिबान राज की आर्थिक दुश्वारियों को समझते हुए चीन ने भी तालिबान सरकार के लिए 310 लाख डॉलर की मदद की घोषणा की है.
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तकनीकी मदद भी देगा पाकिस्तान
सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान से व्यापारिक लेन-देन में पाकिस्तान मुद्रा के चलन में आने के बाद जाहिर तौर पर अफगानी मुद्रा का मूल्य गिर जाएगा. एक बार ऐसा होने पर अफगानिस्तान में सभी व्यापार और व्यवसाय पाकिस्तान की कीमत और मात्रा पर निर्भर होंगे. ऐसे में दबाव बनाकर तालिबान को केवल पाकिस्तान को अपने ड्रग्स भेजने के लिए मजबूर किया जाएगा. सिर्फ गेम प्लान में यही शामिल नहीं है. कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने तालिबान सरकार को तकनीकी मदद का भी भरोसा दिया है. ऐसे में अब वैश्विक समुदाय के लिए पाकिस्तान को भी संदेह से परे रखना लापरवाही होगी. साथ ही भारत के लिए तो चुनौती हैं ही.
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