इस चीनी 'हसीना' के 'जाल' में फंस नेपाली पीएम ओली ने लिया भारत से पंगा
हिमालयी गणराज्य नेपाल में युवा चीनी राजदूत होउ यानकी (Hou Yanqi) नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने के लिए कॉमरेड ओली के कदम के पीछे एक प्रेरणा रही हैं.
highlights
- नेपाल (Nepal) की चीन समर्थक सरकार नक्शे (Map) को पर पीछे हटने के मूड में नहीं.
- भारत की मुखालफत के पीछे चीनी राजदूत की ही कूटनीति और दिमाग काम कर रहा है.
- युवा चीनी राजदूत होउ यानकी नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक.
नई दिल्ली:
भारत (India) और चीन (China) के बीच उप-महाद्वीप में पैदा हुए भू-राजनीतिक तनाव के बीच नेपाल (Nepal) की चीन समर्थक सरकार देश के नए नक्शे (Map) को लेकर अपने रुख से पीछे हटने के मूड में नहीं है. नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली (KP Sharma Oli) का नक्शे के मुद्दे पर अप्रत्याशित रुख के पीछे काठमांडू स्थित चीनी दूतावास की भूमिका एक 'प्रेरक कारक' है. यह जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने दी. सूत्रों का कहना है कि नेपाल के नक्शे को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए चीनी राजदूत ने प्रधानमंत्री ओली को प्रेरित करने का काम किया है.
यह भी पढ़ेंः सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुना गया भारत, 192 में से मिले 184 वोट
होउ यानकी है नेपाल की साजिश के पीछे
गलवान घाटी में अभूतपूर्व भारत-चीन संघर्ष का समय और नेपाली प्रधानमंत्री ओली की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा कोई संयोग नहीं है. नई दिल्ली में खुफिया सूत्रों ने कहा कि हिमालयी गणराज्य नेपाल में युवा चीनी राजदूत होउ यानकी (Hou Yanqi) नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने के लिए कॉमरेड ओली के कदम के पीछे एक प्रेरणा रही हैं. यानी नेपाल जो भारत के उत्तराखंड राज्य के हिस्सों को अपने नक्शे में दर्शा रहा है, उसके पीछे चीनी राजदूत की ही कूटनीति और दिमाग काम कर रहा है.
यह भी पढ़ेंः आज फिर होगी भारत-चीन के बीच सैन्य वार्ता, पीएम मोदी से मिले रक्षा मंत्री
ताकतवर राजनयिकों में हैं शुमार
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान में तीन साल तक काम कर चुकीं होउ का ओली के कार्यालय और निवास में लगातार आना-जाना लगा रहता है. इसके अलावा नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का वह प्रतिनिधिमंडल, जो राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए द्वितीय संविधान संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार करने में सहायक था, वह चीनी राजदूत के संपर्क में था. बीजिंग के विदेश नीति के रणनीतिकारों के इशारे पर काम कर रही युवा चीनी राजदूत को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है. एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान में सेवा करने के अलावा, वह चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही थीं.
यह भी पढ़ेंः भारत से मिला चीन को पहला झटका, BSNL और MTNL में चीन के सामानों पर लगी रोक
चीनी दूतावास कम्युनिस्टों को रही है भड़का
यही नहीं, चीनी दूतावास कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल की युवा शाखा के कुछ शीर्ष नेताओं के साथ भी संपर्क में रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पास भारत-नेपाल सीमा पर वामपंथी पार्टी के युवा नेताओं ने धरना दिया था. बाद में लोगों के व्यापक समर्थन के लिए काठमांडू और अन्य शहरों में एक साथ विरोध प्रदर्शन किए गए. चीनी दूतावास की ओर से पीछे के दरवाजे से (बैक डोर) किए गए प्रयासों ने आखिरकार प्रधानमंत्री ओली के लिए मानचित्र बदलने के लिए जल्द ही एक विधेयक लाने का रास्ता साफ कर दिया. चीन का नाम लिए बिना भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवने ने पहले ही संकेत दिया था कि भारत के उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे के लिए नई लिंक रोड के खिलाफ नेपाल के कड़े विरोध के पीछे बीजिंग ही है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा