मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथ में होगी सरकार की बागडोर, लौटा 'तालिबानी राज'
तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की करें तो यह पाकिस्तान के जेल में बंद था. अमेरिका के कहने पर इसे रिहा किया गया था. हैबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का समग्र नेता है, बरादर इसका राजनीतिक प्रमुख और इसका सबसे बड़ा पब्लिक फेस है.
highlights
- अफगानिस्तान में आज बनेगी तालिबान की सरकार
- मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथ में होगी सरकार की बागडोर
- मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा बन सकते हैं सुप्रीम लीडर
नई दिल्ली :
अफगानिस्तान में तालिबान युग की फिर से शुरुआत हो गई है. यहां तालिबानी सरकार आज यानी शुक्रवार को बन जाएगी. इस सरकार की बागडोर तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथों में होगी. अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे युद्ध के निर्विवाद विजेता के रूप में उभरा. जिसका ईनाम मिला है. वहीं, सबसे बड़े धार्मिक नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा को सुप्रीम लीडर बनाया जाएगा. अफगानिस्तान में सरकार ईरान के तर्ज पर बनने वाली है. बात अगर तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की करें तो यह पाकिस्तान के जेल में बंद था. अमेरिका के कहने पर इसे रिहा किया गया था. हैबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का समग्र नेता है, बरादर इसका राजनीतिक प्रमुख और इसका सबसे बड़ा पब्लिक फेस है.
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर 1968 में उरुजगान प्रांत में पैदा हुआ, उसने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी. 1992 में रूसियों को बाहर निकालने के बाद और देश में प्रतिद्वंद्वी गुटों के युद्ध के बीच बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और बहनोई, मोहम्मद उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया. दोनों ने मिलकर तालिबान की स्थापना की, जो देश के धार्मिक शुद्धिकरण और एक अमीरात के निर्माण के लिए समर्पित युवा इस्लामी विद्वानों के नेतृत्व में एक आंदोलन था.
बरादर ने अफगानिस्तान में दिलाई तालिबान को जीत
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुल्ला उमर के डिप्टी बरादर जीत का प्रमुख वास्तुकार है. इसे व्यापक रूप से एक अत्यधिक प्रभावी रणनीतिकार माना जाता है. बरादर ने पांच साल के तालिबान शासन में सैन्य और प्रशासनिक भूमिकाएं निभाईं, वह तत्कालीन उप रक्षा मंत्री था.
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बरादर को आईएसआई से गिरफ्तार कराया गया
तालिबान के 20 साल के निर्वासन के दौरान, बरादर को एक शक्तिशाली सैन्य नेता और एक सूक्ष्म राजनीतिक संचालक होने की प्रतिष्ठा हासिल हुई. हालांकि, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्रशासन उनकी सैन्य विशेषज्ञता से अधिक भयभीत था. सीआईए ने 2010 में उसे करांची में ट्रैक किया और उसी साल फरवरी में आईएसआई को उसे गिरफ्तार करने के लिए राजी किया.
2018 में बरादर को अमेरिका के कहने पर रिहा किया गया
द गार्जियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में, हालांकि, वाशिंगटन का रवैया बदल गया और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अफगान दूत, जालमय खलीलजाद ने पाकिस्तानियों से बरादर को रिहा करने के लिए कहा, ताकि वह कतर में बातचीत का नेतृत्व कर सकें, इस विश्वास के आधार पर कि वह सत्ता-साझाकरण व्यवस्था के लिए समझौता करेंगे. बरादर ने फरवरी 2020 में अमेरिका के साथ दोहा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे ट्रम्प प्रशासन ने शांति की दिशा में एक सफलता के रूप में देखा था.
अब अफगानिस्तान में तालिबान राज आ गया है. तालिबानियों ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. कब्जा जमाने के 20 दिन बाद यहां सरकार बनने जा रही है.
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