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मोदी और शी अपनी सेनाओं को जारी करेंगे रणनीतिक दिशानिर्देश, ताकि डोकलाम जैसी स्थिति दोबारा न हो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आपसी विश्वास बढ़ाने, बेहतर संपर्क और समझ बढ़ाने के लिये अपनी सेनाओं को 'रणनीतिक निर्देश' जारी करने का फैसला किया है।

Updated on: 28 Apr 2018, 11:58 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आपसी विश्वास बढ़ाने, बेहतर संपर्क और समझ बढ़ाने के लिये अपनी सेनाओं को 'रणनीतिक निर्देश' जारी करने का फैसला किया है। ताकि डोकलाम जैसी स्थिति भविष्य में दोबारा न हो।

पीएम मोदी ने कहा कि शी के साथ उनकी बातचीत भारत-चीन के बीच सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर केंद्रित रही।

उन्होंने कहा, 'हमने अपने आर्थिक संबंधों तथा लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। कृषि, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और पर्यटन जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी हमने विचार विमर्श किया।'

चीन के शहर वुहान में दोनों नेताओं के बीच दो दिन की अनौपचारिक शिखर वार्ता के खत्म होने पर विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं ने भारत-चीन सीमाई क्षेत्र में शांति और अमन को कायम रखने को महत्व दिया। ताकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर किया जा सके।

उन्होंने कहा, 'सीमाओं के प्रभावी मैनेजमेंट और आपसी विश्वास को बढ़ाने के लिये संचार व्यवस्था को मजबूत करने के लिये उन्होंने अपनी सेनाओं को रणनीतिक दिशानिर्देश जारी किये।'

गोखले ने बताया कि दोनों नेताओं ने अपनी सेनाओं को आपसी विश्वास बढ़ाने संबंधी उन कदमों को लागू करने के निर्देश दिये जिन पर सहमति बनी है। जिसमें आपसी और बराबरी की सुरक्षा जानकारी के आदान प्रदान, वर्तमान व्यवस्था को मजबूत करने और सीमा पर घटनाओं को रोकने संबेधी कदम शामिल हैं।

दोनों नेताओं ने सीमा विवाद के उचित, तार्किक और दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए विशिष्ट प्रतिनिधित्व के काम की भी सराहना भी की।

भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए विभिन्न तरीके अपना रहे हैं। सीमा विवाद के समाधान के लिए अब तक दोनों देश 20 दौर की वार्ता कर चुके हैं।

पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच ‘दिल से दिल की बात’ को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्योंकि दोनों देशों के बीच इसे विश्वास और संबंधों को बेहतर करने के कदम के रूप में माना जा रहा है। पिछले साल डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच करीब 73 दिनों तक कायम रहे गतिरोध से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी।

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गोखले ने कहा, 'दोनों नेताओं की राय है कि दोनों देशों में इतनी परिपक्वता और समझदारी है कि वे समग्र संबंधों के संदर्भ के दायरे में शांतिपूर्ण चर्चा के जरिए विवादों को सुलझाएं और एक दूसरे की संवेदनशीलता, चिंताओं और आकांक्षाओं का सम्मानपूर्वक ख्याल रखें।'

दोनों नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के क्षेत्रीय और वैश्विक हित हैं। दोनों में इस बात पर सहमति बनी है कि रणनीतिक संचार को बेहतर किया जाए। ताकि विश्वास और समझ को मजबूत किया जा सके।

गोखले ने बताया कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद को साझा खतरा माना और इसका सामना करने के लिये आपसी सहयोग के लिये प्रतिबद्धता जताई।'

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जब पूछा गया कि क्या जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का मुद्दा उठाया गया, तो उन्होंने कहा दोनों नेता मुद्दे की विशिष्टता में नहीं गए।

चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र में बार-बार विफल किया है।

दोनों नेताओं ने इस आवश्यकता पर भी बल दिया कि व्यापार संतुलित तथा टिकाऊ होनी चाहिए और दोनों देशों को एक - दूसरे के पूरक कारकों का लाभ उठाना चाहिए।

मोदी ने व्यापार को संतुलित करने के महत्व तथा चीन को कृषि एवं दवा निर्यात की संभावनाओं का भी जिक्र किया। दोनों पक्षों ने पर्यावरण परिवर्तन, टिकाऊ विकास और खाद्य सुरक्षा पर भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के चीन अनौपचारिक दौरे पर थे और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी ने वुहान शहर में कई अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। 

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