logo-image

जानिए क्या है भूतिया नौकरियों का सच, जिसके जाल में फंस जाते हैं बेरोजगार

Ghost Jobs: हाल के कुछ सालों में घोस्ट जॉब यानी भूतिया नौकरियों का ट्रेंड बढ़ा है. जो बेरोजगारों के लिए किसी चैलेंज या परेशानी से कम नहीं है. क्योंकि ऐसे में बेरोजगारी झेल रहे युवा नौकरियों के लिए आवेदन तो करते हैं लेकिन उनकी भर्ती नहीं होती.

Updated on: 05 Oct 2023, 12:24 PM

highlights

  • बेरोजगारों के लिए क्यों चैलेंजिंग है घोस्ट जॉब
  • घोस्ट जॉब के जाल में फंस जाते हैं युवा
  • अमेरिका में बहुत निकलती हैं भूतिया नौकरियां

 

New Delhi:

Ghost Jobs: दुनियाभर के देशों में अलग-अलग फील्ड में नौकरियां निकली है. लेकिन कई बार भूतिया नौकरी का जिक्र भी सामने आता है. ऐसे में हर कोई इन घोस्ट जॉब यानी भूतिया नौकरी के बारे में जानना चाहता है कि आखिर घोस्ट या भूतिया नौकरी आखिर होती क्या है. दरअसल, घोस्ट जॉब ऐसी नौकरियां होती है जिन्हें कंपनियां निकालती तो हैं लेकिन उन वैकेंसी को कभी भरा नहीं जाता. एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, अमेरिका में ऐसी 90 लाख नौकरियां हैं. लेकिन यहां युवाओं और बेरोजगारों को नौकरी नहीं मिल रही. जो बेरोजगार युवाओं के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं है.

ये भी पढ़ें: ENG vs NZ Dream11 Prediction : इंग्लैंड बनाम न्यूजीलैंड मैच में इन खिलाड़ियों को चुनकर बनाए अपना बेस्ट ड्रीम11 टीम

जानिए क्या होती है भूतिया नौकरी

बता दें कि भूतिया नौकरियां या घोस्ट जॉब्स ऐसी नौकरियों को कहा जाता है जिन्हें बड़ी-बड़ी कंपनियां निकालती तो हैं यानी ओपनिंग्स तो करती है लेकिन कंपनियां इन्हें भरना नहीं चाहती. वर्कफोर्स इंटेलिजेंस फर्म रेवेलियो लैब्स का कहना है कि ऐसी नौकरियां पहले भी निकलती थीं. लेकिन कोरोना के बाद कई क्षेत्र में घोस्ट जॉब की घटना दोगुनी हो गई. यानी कंपनियों ने दिखाने के लिए तो ओपनिंग तो निकाली लेकिन उन्होंने किसी कर्मचारी की भर्ती नहीं की.

ये होती है घोस्ट जॉब पोस्टिंग

जिस तरह से घोस्ट जॉब होती है वैसे ही घोस्ट जॉब पोस्टिंग भी होती है. जो सिर्फ आंकड़ों को छिपाने का काम करती है. क्योंकि अमेरिका में जॉब घोस्टिंग के आंकड़ों से लेबर टर्नओवर सर्वे के आंकड़ों पर संदेह होने लगा है. फेडरल रिजर्व भी इसे  एक महत्वपूर्ण सबूत के रूप में देख रही है. क्योंकि कई बार कंपनियां अपने यहां नौकरियों का डाटा दिखाने के लिए ही इस तरह की ओपनिंग्स को निकालती हैं और उन्हें भर्ती नहीं करती. इनमें ज्यादातर कंपनियां वो हैं जो लेबर मार्केट डाउन होने के समय इस तरह की भर्ती निकलती हैं.

ये भी पढ़ें: MP: मध्य प्रदेश में महिलाओं को तोहफा, सरकारी नौकरी में मिलेगा 35 फीसदी आरक्षण, नोटिफिकेशन जारी

इंडीड हायरिंग लैब के फाइनेंसियल रिसोर्स के चीफ निक बंकर का कहना है कि ऐसा ही मामला ज़ूम कॉल और मास्क मैंडेट पर भी देखने को मिला. उस समय लेबर स्टैटिक्स ब्यूरो की तरफ से छपी मंथली जोल्ट रिपोर्ट खूब सुर्खियों में रही थी. और लाखों अमेरिकियों ने नौकरी बदलने का फैसला लिया या फिर छोड़ दिया. जूम कॉल और मास्क मैंडेट के पीरियड को दी ग्रेट रेजिग्नेशन नाम दिया गया था.  बीएलएस के मुताबिक, पिछले साल भूतिया नौकरियां का बाजार 12 मिलियन से ज्यादा पहुंच गया था. जो बेरोजगरों की संख्या का दो गुना था.

ये भी पढ़ें: Rajasthan: PM मोदी ने जोधपुर में कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी

जुलाई में इतनी थी घोस्ट जॉब की संख्या

बीएलएस के डेटा के मुताबिक, जुलाई में अमेरिका में लगभग 8.8 मिलियन वैकेंसी थो, जो मार्च 2022 के पीक से करीब 27 फीसदी अधिक थी. अमेरिका में इनदिनों छंटनी का दौर चल रहा है ऐसे में भर्ती भी धीमे चल रही है. वहीं जिन कर्मचारियों को भर्ती किया जाना है उनकी जॉइनिंग डेट को भी आगे बढ़ा दिया गया है.