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तालिबानी कैसे करते हैं महिलाओं पर जुल्म, जानें इस अफगानी महिला की आपबीती

तालिबान (Taliban) के डर से हर अफगानी सहमा हुआ है. तालिबान ने अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा कर लिया है. तालिबान ने अफगानिस्तान को कब्जा करने के लिए जिस तरीके का रुप अख्तियार किया वो मानवता को शर्मसार कर देने वाला है.

Updated on: 16 Aug 2021, 07:57 PM

नई दिल्ली:

तालिबान (Taliban) के डर से हर अफगानी सहमा हुआ है. तालिबान ने अफगानिस्तान (Afghanistan)  पर कब्जा कर लिया है. तालिबान ने अफगानिस्तान को कब्जा करने के लिए जिस तरीके का रुप अख्तियार किया वो मानवता को शर्मसार कर देने वाला है. अफगानिस्तान में तालिबान से प्रत्याड़ित होकर दिल्ली में इलाज के लिए रह रही 33 वर्षीय महिला की जुबानी दिल दहला देने वाली है. 2020 से दिल्ली में रह रही 33 वर्षीय अफगानी महिला खतेरा ने मीडिया से अपनी आपबीती बताते हुए तालिबान के हर गतिविधियों का पर्दाफाश कर दिया है.

खतेरा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि तालिबान महिलाओं को इंसान के तौर पर नहीं बल्कि मांस के तौर पर देखता है. बता दें कि पिछले साल गजनी प्रांत के एक इलाके में हुई एक हमले में तालिबान के लड़ाकों ने खतेरा को गोली मार कर उनकी दोनों आंखों को फोड़ दी थी. इस घटना को लेकर खतेरा का कहना है कि ये घटना कोई और नहीं बल्कि उसके पिता ने करवाया था. खतेरा के कथानुसार उसके पिता पूर्व तालिबानी लड़ाके थे.

दरअसल में अफगानिस्तान की पूर्व में पुलिस कर्मी रही खतेरा पर तालिबान के लड़ाकों ने हमला उस वक्त किया जब खतेरा दो महीने की गर्भवती थीं. हमले के दिन वो काम से अपने घर जा रही थी. रास्ते में ही तीन तालिबान लड़ाकों ने उन्हें रोक दिया. रोक कर पहले उनकी आईडी की जांच की, फिर उन्हें बूरी तरह पीटा था और शरीर के ऊपरी हिस्से में आठ गोलियां मारी. इतना ही नहीं उन तालिबानी लड़ाकों ने खतेरा के शरीर पर कई जगह चाकू से वार भी किए गए थे. खतेरा के अनुसार जब वो होश में आईं तो उनको पता चला तालिबान के लड़ाकों ने उनकी आंखों में चाकुओं से वार कर उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया था. 

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खतेरा ने तालिबान के द्वारा अफगानी महिलाओं पर बरपाए जा रहे जुल्‍म को लेकर मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं भाग्यशाली थी कि मैं इससे बच गई. गौरतलब है कि दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में अफगानिस्तान से आए कई शरणार्थियों रहते हैं. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की खबर से 
अफगानिस्तानी शरणार्थियों में चिंता व्याप्त है.