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ईरान और सऊदी अरब वर्षों की शत्रुता के बाद संबंधों को फिर शुरू करने पर सहमत

गौरतलब है कि सऊदी अरब ने 2019 में ईरान को राज्य की तेल सुविधाओं पर मिसाइल और ड्रोन हमलों के साथ-साथ खाड़ी के पानी में टैंकरों पर हमलों के लिए दोषी ठहराया था.

Updated on: 10 Mar 2023, 10:57 PM

highlights

  • एक-दूसरे की संप्रभुता के सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने पर सहमति
  • चीन की मध्यस्थता में चार दिनों के बाद दोनों देश सात साल पुरानी दुश्मनी भुलाने को राजी

रियाद:

ईरान और सऊदी अरब ने शुक्रवार को सात साल की शत्रुता के बाद संबंधों को फिर से स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की है. इन दो शिया और सुन्नी देशों की परस्पर शत्रुता ने खाड़ी में स्थिरता और सुरक्षा को खतरा पैदा कर दिया था. यही नहीं, इनकी दुश्मनी ने यमन से सीरिया तक मध्य पूर्व में संघर्षों को नया मोड़ देने में भी भारी मदद की थी. इन दो देशों को फिर से साथ लाने में चीन ने महती भूमिका निभाई है. मध्य पूर्व की इन दो विरोधियों शक्तियों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के बीच बीजिंग में चार दिनों की बातचीत चली. इस बातचीत के बाद शत्रुता को भुला संबंधों को नए सिरे से शुरू करने की घोषणा की गई थी. ईरान, सऊदी अरब और चीन द्वारा जारी एक बयान के अनुसार तेहरान और रियाद राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने के लिए दो महीने के भीतर अपने दूतावासों और मिशनों को फिर से खोलने पर सहमत हुए हैं. इस समझौते में दोनों ही देशों ने एक-दूसरे की संप्रभुता के सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की उनकी सहमति भी शामिल है.

सालों आमने-सामने रहे दोनों देश
गौरतलब है कि सऊदी अरब ने 2019 में ईरान को राज्य की तेल सुविधाओं पर मिसाइल और ड्रोन हमलों के साथ-साथ खाड़ी के पानी में टैंकरों पर हमलों के लिए दोषी ठहराया था. हालांकि ईरान ने आरोपों से साफ इनकार किया था. यही नहीं, यमन में ईरान-गठबंधन हौथी आतंकी अक्सर सऊदी अरब में सीमा पार से मिसाइल और ड्रोन हमले करते रहे है. 2022 में तो हमलों को संयुक्त अरब अमीरात तक बढ़ाया गया. शुक्रवार के समझौते में, सऊदी अरब और ईरान ने 2001 में हस्ताक्षरित एक सुरक्षा सहयोग समझौते को सक्रिय करने पर भी सहमति व्यक्त की. इसके साथ ही व्यापार, अर्थव्यवस्था और निवेश पर एक और समझौता किया. दोनों देशों ने 2021 और 2022 में पहले की वार्ता की मेजबानी के लिए चीन, साथ ही इराक और ओमान को धन्यवाद दिया. इस समझौते पर ईरान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी अली शामखानी और सऊदी अरब के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मुसैद बिन मोहम्मद अल-ऐबन ने हस्ताक्षर किए हैं.

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सही दिशा में हुआ है समझौता
मध्य पूर्व की दो प्रमुख शिया और सुन्नी मुस्लिम शक्तियां वर्षों से एक-दूसरे के आमने-सामने रही हैं. यमन से लेकर सीरिया और अन्य जगहों पर छद्म युद्धों में विपरीत पक्षों का समर्थन भी करती आई हैं. सऊदी अरब ने 2016 में तेहरान में उसके दूतावास पर हमले के बाद ईरान के साथ संबंध तोड़ लिए थे. शिया मुस्लिम मौलवी को रियाद द्वारा फांसी दिए जाने को लेकर दोनों देशों के बीच भी विवाद रहा है. ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियान ने कहा कि संबंधों को सामान्य करने से दोनों देशों और मध्य पूर्व के लिए बहुत संभावनाएं उपजी हैं.