इमरान खान के 'नए पाकिस्तान' में नया कानून, सशस्त्र बलों की आलोचना पर दंड
जान-बूझकर देश की सेनाओं (Armed Force) की आलोचना करने वालों को दंडित किया जाएगा. समिति ने पाकिस्तान की दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1898 में संशोधन करने के लिए विधेयक को मंजूरी दी है.
highlights
- नेशनल असेंबली में इस विधेयक को दी गई मंजूरी
- दो साल तक के कारावास या जुर्माने का प्रावधान
- कई राजनीतिक खेमों ने किया भारी विरोध
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान (Pakistan) की नेशनल असेंबली की स्थायी समिति ने एक विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत जान-बूझकर देश की सेनाओं (Armed Force) की आलोचना करने वालों को दंडित किया जाएगा. समिति ने पाकिस्तान की दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1898 में संशोधन करने के लिए विधेयक को मंजूरी दी है, जिसमें सशस्त्र बलों का उपहास करने वालों को दंडित करने का प्रावधान है. विधेयक के विवरण के अनुसार, जो कोई भी ऐसे अपराध का दोषी होगा, उसे दो साल तक के कारावास या जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. जुर्माना (Fine) 500,000 रुपये तक का हो सकता है या किसी मामले में दोनों सजा हो सकती है. सत्तारूढ़ पार्टी के अमजिद अली खान द्वारा पेश आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2020 को राजनीतिक खेमों के विरोध के बावजूद समिति द्वारा अनुमोदित किया गया.
दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान
विधेयक में पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 500 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, जो कहता है कि जो कोई भी दोषी ठहराया जाएगा, उसे दो साल साधारण कारावास की सजा दी जाएगी या जुर्माना देना होगा या दोनों सजा एक साथ हो सकती है. संशोधन में सशस्त्र बलों के साथ अंतर्राष्ट्रीय उपद्रव के लिए भी सजा का प्रस्ताव है. जो कोई पाकिस्तान के सशस्त्र बलों या उसके सदस्यों को अपमानित करता है या उसे बदनाम करता है या जानबूझकर उपहास करता है, वह एक तय अवधि के लिए कारावास के साथ अपमानजनक दंड का भागी होगा. उसे दो साल कैद या पांच सौ हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है.
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पीपीपी और पीएमएल-एन ने किया विरोध
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के विपक्षी सांसदों ने प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया, जिसमें कहा गया कि विधेयक को पेश करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत पहले से ही कवर है. विपक्षी दल के अलावा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेतृत्व वाली खैबर प़ख्तूऩख्वा (केपी) प्रांतीय सरकार के गृह विभाग ने भी विधेयक का विरोध किया है.
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