पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री हो चुके हैं. शनिवार को नेशनल असेंबली ने इमरान खान के खिलाफ विश्वास मत पारित कर दिया. लेकिन इमरान खान प्रधानमंत्री के पद पर बने रहने के लिए हर संभव और असंभव कोशिश करते रहे. सत्ता में बने रहने के लिए वह सेना, अमेरिका और विपक्ष के प्रति आक्रामक रवैया अपनाया. विपक्ष को विदेशी शक्तियों के हाथ में खेलने का आरोप लगाया. इमरान खान ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए अंतिम प्रयास में अविश्वास प्रस्ताव के पहले पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को बर्खास्त करने का आदेश दिया था. ऐसा करने से उनको लग रहा था कि सत्ता पर उनकी पकड़ बनी रहेगी. लेकिन रक्षा मंत्रालय की तरफ से प्रधानमंत्री के आदेश का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया और इमरान खान के हाथ सिर्फ निराशा लगी.
इमरान खान के पाकिस्तान की सत्ता से बाहर होने के बाद अब नए-नए खुलासे हो रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि बाजवा को बर्खास्त करने के संबंध में किसी भी नोटिफिकेशन को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देकर ‘नल एंड वॉयड’ घोषित करने की व्यवस्था की गई थी. अदनान इकबाल नाम के एक वकील ने सेना प्रमुख को हटाने के लिए इमरान सरकार द्वारा जारी किसी भी संभावित नोटिफिकेशन को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में एक तत्काल याचिका दायर की थी. इस सिलसिले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह कोर्ट भी पहुंचे थे. अदालत रात 10 बजे तक खुली हुई थी.
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इमरान खान पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बने हैं, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए बाहर किया गया है. 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 174 सांसदों ने पक्ष में वोट किया. वहीं, इमरान की पार्टी के सांसद वोटिंग से पहले ही सदन छोड़कर चले गए थे.
मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, दो बिन बुलाए मेहमान शनिवार की रात हेलीकॉप्टर से प्रधानमंत्री आवास पहुंचे, जो असाधारण सुरक्षा के घेरे में थे. इन लोगों ने 15 मिनट तक इमरान खान से निजी तौर पर मुलाकात की. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बैठक से एक घंटे पहले इमरान ने बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी को हटाने का आदेश दिया था.