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इमरान का कैबिनेट उनकी ही तरह किसी काम का नहीं है, सैकड़ों फैसलों पर अमल नहीं होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज

इमरान सरकार के नाकाबिले बर्दाश्त कारनामों से आजिज आकर सेना का भी उनसे मोहभंग हो चुका है. ऐसे में कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि किसी भी दिन के उगते सूरज के साथ इमरान खान की प्रधानमंत्री पद की पारी अस्त हो सकती है.

Updated on: 16 May 2020, 09:44 AM

highlights

  • तुगलकी फरमान देने में पीछे नहीं है इमरान सरकार.
  • फैसले हुए 200 लेकिन अमल एक पर भी नहीं हुआ.
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस पर लगाई पाकिस्तान सरकार को फटकार.

इस्लामाबाद:

इमरान खान (Imran Khan) का नया पाकिस्तान वास्तव में तुगलकी फरमान जारी करने वाला देश बन गया है. स्थिति यह आ चुकी है कि इमरान के सत्ता में आने के बाद ऐसे फैसलों की संख्या सैकड़ों में है, जिन पर चर्चा तो बहुत हुई लेकिन अमली जामा के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है. उस पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर फजीहत अलग से हुई है. चर्चा तो यह भी है कि अब इमरान सरकार के नाकाबिले बर्दाश्त कारनामों से आजिज आकर सेना का भी उनसे मोहभंग हो चुका है. ऐसे में कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि किसी भी दिन के उगते सूरज के साथ इमरान खान की प्रधानमंत्री पद की पारी अस्त हो सकती है. फिलहाल तो वह कोरोना संक्रमण (Corona Virus) के कारण ही कई मोर्चों पर घर में घिरे बैठे हैं. आलम यह है कि विद्यमान चुनौतियों के आगे उनकी लाचारगी को देख पाकिस्तान (Pakistan) सुप्रीम कोर्ट तक फटकार लगा चुका है.

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फैसले हुए 200 अमल एक पर भी नहीं
स्थिति यह है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की अब तक की बैठकों में हुए दो सौ से अधिक फैसले ऐसे रहे हैं जिन पर आज तक सिरे से अमल ही नहीं हुआ है. यह फैसले कैबिनेट बैठक के दस्तावेजों की शोभा बढ़ाने के अलावा और कोई काम नहीं आ सके हैं. 'जियो न्यूज उर्दू' ने सरकारी सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान कैबिनेट की अब तक 82 बैठकें हो चुकी हैं जिनमें लिए गए कई फैसलों पर अमल नहीं हो सका है.

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सलाहकारों की भारी-भरकम फौज
रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान की अध्यक्षता में कैबिनेट की 82 बैठकों में 1630 फैसले लिए गए है. संघीय मंत्रालय, विभाग व अन्य सरकारी संस्थान इनमें से 234 फैसलों का कार्यान्वयन कराने में नाकाम रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि अब प्रधानमंत्री ने इस बारे में अगली कैबिनेट बैठक में जानकारी देने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि इमरान कैबिनेट में कुल 51 सदस्य हैं जिनमें से 19 को प्रधानमंत्री के सलाहकारों की भूमिका सौंपी गई है. यह सभी 19 गैर निर्वाचित व्यक्ति हैं. इतना भारी-भरकम सलाहकार मंडल होने के बावजूद किसी ने भी इन फैसलों को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका. उस पर तुर्रा यह है कि इन

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सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई लताड़
कोरोना वायरस से लड़ने में देश में होने वाली लापरवाहियों का कुछ दिन पहले स्वत: संज्ञान लेते हुए देश के सुप्रीम कोर्ट ने इस भारी भरकम कैबिनेट के औचित्य पर सवाल उठाते हुए यहां तक कहा था कि इससे तो ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री को खुद अपने बूते कोई काम करना नहीं आता. अदालत ने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री के मंत्री दर्जा प्राप्त गैर निर्वाचित सलाहकारों में से कई भ्रष्टाचार के आरोपों के भी घेरे में हैं. अदालत ने प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य मामलों के सलाहकार को पद से हटाने पर विचार करने को कहा था.