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दुबई में भारतीय-पाकिस्तानी दंपति की बेटियों को भारतीय पासपोर्ट का इंतजार

महरोज ने कहा,

Updated on: 15 Oct 2020, 08:40 AM

दुबई:

सऊदी अरब में रहने वाली दो युवतियों को भारत सरकार की ओर से पासपोर्ट जारी न हो पाने के कारण मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. यह युवतियां एक भारतीय मूल के पिता और पाकिस्तानी मूल की मां की संतान हैं. युवतियों का कहना है कि उन्हें निलंबित एनिमेशन में जीवन यापन करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास अपने पैतृक घर जाने के लिए वैध कागजात की कमी है. युवतियों का कहना है कि वे अपने पैतृक घर इसलिए नहीं जा पा रही हैं, क्योंकि भारत सरकार की ओर से उनके पासपोर्ट जारी नहीं किए गए हैं.

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2011 में पासपोर्ट के लिए किया था आवेदन 
गल्फ न्यूज को लिखे गए एक ईमेल में 28 साल की महरोज और उनसे एक साल छोटी उनकी बहन ने कहा, "हमारा जीवन फंसा हुआ है, हम एक सामान्य काम या एक सामान्य जीवन नहीं जी सकते." भारतीय-पाकिस्तानी दंपति की बेटियों ने कहा कि वे एक तरह से 'स्टेटलेस' हैं. गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ईमेल में अपनी कहानी का वर्णन करते हुए महरोज ने लिखा कि उनके पिता भारतीय, जबकि मां पाकिस्तानी हैं. उन्होंने कहा कि उनका परिवार लगभग 60 वर्षों से दुबई में रह रहा है. महरोज ने लिखा, "मेरे दादा, दादी और पिता अब मर चुके हैं और दुबई में दफन हैं. मेरी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई है, हम तीनों ही दुबई में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं."

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जब वह 15 साल की थी, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई
महरोज ने कहा, "जब हम छोटे थे, हमें अपनी मां के पासपोर्ट पर भारत आने की अनुमति दी गई थी. हमारे पिता जब जीवित थे, तब वे सब कुछ संभाल रहे थे. उनके देहांत के बाद, जब हमने स्कूल खत्म किया तो हमें नए पासपोर्ट बनवाने थे, क्योंकि नियम बदल गए थे." उन्होंने कहा कि वे भाई-बहन भारतीय पासपोर्ट पाने के इच्छुक हैं. महरोज ने कहा, "मेरे दो छोटे भाई-बहनों और मेरे पास पासपोर्ट नहीं हैं, इसलिए हमने भारतीय पासपोर्ट के लिए भारतीय वाणिज्य दूतावास से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि पिता ने हमारे जन्म के एक साल के भीतर हमें पंजीकृत नहीं कराया. वर्षों की कोशिश और अनुरोध के बाद हमें पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास से यह शपथपत्र लाने के लिए कहा गया कि हम पाकिस्तानी पासपोर्ट के लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं."

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सभी संबंधित दस्तावेज और फॉर्म भर दिए गए थे

उन्होंने कहा कि मामला 2011 में स्वीकार कर लिया गया था और सभी संबंधित दस्तावेज और फॉर्म भर दिए गए थे. महरोज ने फोन पर बताया, "वाणिज्य दूतावास ने हमें भारत भेजा. इस समय तक, मैं 19 साल की हो गई थी और मेरी बहन 18 साल की होने जा रही थी. भारत में हमारे रिश्तेदारों से संपर्क किया गया, सब कुछ जांचा गया और मेरे भाई को भारतीय पासपोर्ट जारी किया गया, क्योंकि तब उसकी उम्र 18 साल से कम थी. मेरी बहन और मुझे नए फॉर्म भरने के लिए कहा गया था और तब तक हम दोनों ही 18 साल से अधिक की हो चुकी थीं." उन्होंने बताया, "इसके बाद इन्हें भारतीय वाणिज्य दूतावास ने भारत भेजा और हमसे कहा कि आप वाणिज्य दूतावास न आएं और हम ईमेल के माध्यम से ही सूचित करेंगे. 2011 से अब तक जब भी हम इसके बारे में पूछते हैं तो भारतीय वाणिज्य दूतावास कहता है कि वे अभी भी भारत के जवाब का इंतजार कर रहे हैं."

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'हमारा जीवन फंसा हुआ है'

महरोज ने कहा, "अब नौ साल से अधिक समय बीत चुका है. मैं अब 28 साल की हूं और मेरी बहन 27 साल की होने वाली है. हमारा जीवन फंसा (अटका) हुआ है. हम एक सामान्य काम नहीं कर सकते हैं या एक सामान्य जीवन नहीं जी सकते, क्योंकि हम स्टेटलेस हैं." उन्होंने कहा कि वे दोनों बहनें स्वतंत्र रूप से घूम नहीं सकतीं, क्योंकि उनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं हैं. महरोज ने कहा, "हमारी शिक्षा प्रभावित हुई है. हम शादी भी नहीं कर सकते."

महरोज ने कहा, "यह बहुत कष्टप्रद और निराशाजनक है. हमारे पिता और भाई भारतीय हैं. इसलिए हम भारतीय अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वे हमें पासपोर्ट जारी करें, ताकि हमारा जीवन आगे बढ़ सके. हम बस उम्मीद करते हैं कि यहां की सरकार भी हमें अपनी स्थिति को सुधारने की अनुमति दें और जल्द से जल्द इसके लिए हमें एक पासपोर्ट जारी करें." संपर्क करने पर, दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने गल्फ न्यूज को सूचित किया कि इन युवतियों का अनुरोध अभी भी भारत में गृह मंत्रालय (एमएचए) के पास लंबित है, जो नागरिकता देने के लिए नोडल प्राधिकरण है.