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ब्रिटिश संसद में गूंजा किसान आंदोलन, बोरिस जॉनसन सरकार ने बताया भारत का 'घरेलू मामला'

कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने भारत सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि कृषि भारत का अपना आंतरिक मामला है, इसके ऊपर विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती.

Updated on: 09 Mar 2021, 07:52 AM

highlights

  • किसान आंदोलन पर चर्चा के लिए चले सिग्नेचर कैंपेन के बाद हुई चर्चा
  • लेबर पार्टी के सांसदों खासकर तनमनजीत सिंह धेसी का रहा समर्थन
  • हालांकि बोरिस जॉनसन सरकार ने इसे भारत का घरेलू मामला बताया

लंदन:

ब्रिटेन (Britain) की लेबर पार्टी के सांसदों की पहल पर चलाए गए सिग्नेचर कैंपेन के बाद भारत की मोदी सरकार (Modi Government) पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन की संसद में किसान आंदोलन और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी चर्चा हुई. गौरतलब है कि कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान नेता और किसान संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बीते 100 दिन से दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं. किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर इस याचिका पर हस्ताक्षर अभियान नवंबर में शुरू हुए थे. मिली सूचना के अनुसार इस पेटीशन पर करीब 116 हजार लोगों ने सिग्नेचर किए हैं. हालांकि ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) सरकार ने किसान आंदोलन को भारत का घरेलू मामला बताक संकेत दे दिया कि बोरस जॉनसन सरकार इस मसले पर भारत के साथ खड़ी है. 

याचिका पर 116 हजार लोगों के हस्ताक्षर
ये चर्चा लंदन स्थित पोर्टकुलिस हाउस में संपन्न हुई, जो करीब 90 मिनट तक चली. कोविड प्रोटोकॉल के चलते कुछ सांसदों ने घर से ही डिजिटल माध्यम से इसमें हिस्सा लिया, कुछ सांसद पार्लियामेंट में फिजिकली मौजूद रहे. किसान आंदोलन को सबसे अधिक लेबर पार्टी का समर्थन मिला. लेबर पार्टी के 12 सांसदों जिसमें लेबर पार्टी के पूर्व नेता जेरेमी कोर्बीन भी शामिल थे, जिन्होंने इससे पहले एक ट्वीट करके किसानों का समर्थन किया था. इसी दौरान कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने भारत सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि कृषि भारत का अपना आंतरिक मामला है, इसके ऊपर विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती.

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सरकार का रुख भारत के साथ
वहीं चर्चा पर जवाब देने के लिए प्रतिनियुक्त किए गए मंत्री निगेल एडम्स ने कहा कि कृषि सुधार भारत का 'घरेलू मामला' है, इसे लेकर ब्रिटेन के मंत्री और अधिकारी भारतीय समकक्षों से लगातार बातचीत कर रहे हैं. एडम्स ने उम्मीद जताई कि जल्द ही भारत सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत के माध्यम से कोई पॉजिटिव रिजल्ट निकलेगा. इससे पहले भी ब्रिटिश सरकार से किसान आंदोलन को लेकर सवाल किए जा चुके हैं, लेकिन हर बार उन्होंने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताते हुए खुद को अलग करने की कोशिश की थी. माना जाता है कि ब्रिटिश सरकार का रूख भारत सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने को लेकर ज्यादा है. भारत ने भी सम्मान दिखाते हुए इस बार गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि बनाया था. हालांकि ब्रिटेन में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया था.

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ब्रिटिश सांसदों ने लिखी थी चिट्ठी
बता दें कि लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी के नेतृत्व में 36 ब्रिटिश सांसदों ने किसान आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रमंडल सचिव डोमिनिक राब को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में सांसदों ने किसान कानून के विरोध में भारत पर दबाव बनाने की मांग की गई थी. सांसदों के गुट ने डोमिनिक रॉब से कहा है कि वे पंजाब के सिख किसानों के समर्थन विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालकों के जरिए भारत सरकार से बातचीत करें.