दुनिया भर में कोरोना मौतों का आंकड़ा छिपाया गया, WHO दे सकता नए आंकड़े
द इकोनोमिस्ट लंदन समेत वॉशिंगटन के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रक्सि एंड एवुलेशन (आईएचएमई) के दावे भी यही कह रहे हैं कि कोविड-19 से हुई मौतों के वास्तविक आंकड़े कई गुना ज्यादा हो सकते हैं.
highlights
- द इकोनोमिस्ट लंदन के मुताबिक दुनिया में 2.2 करोड़ मौते हुईं कोरोना से
- वॉशिगंटन के आईएचएमई के दावे के मुताबिक 1.8 करोड़ हुई मौतें
- भारत में भी 5 लाख से 10 गुना ज्यादा हुई हैं कोविड-19 से मौतें
नई दिल्ली:
दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण का कहर एक जबर्दस्त त्रासदी बनकर टूटा है. लगभग हर देश को लेकर ऐसी बातें उठी हैं कि उसने कोरोना से मौतों के वास्तविक आंकड़े छिपाए. ऐसे में द इकोनोमिस्ट लंदन समेत वॉशिंगटन के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रक्सि एंड एवुलेशन (आईएचएमई) के दावे भी यही कह रहे हैं कि कोविड-19 से हुई मौतों के वास्तविक आंकड़े कई गुना ज्यादा हो सकते हैं. दोनों ही कह रहे हैं कि भारत-चीन समेत 116 देशों में क्रमशः 2.2 करोड़ या 1.8 करोड़ के लगभग मौतें कोरोना संक्रमण से हुई हैं. नेचर जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा गया है कि सरकार ने फिलवक्त 5 लाख मौतों की पुष्टि की है, लेकिन वास्तविक आंकड़ा इसका भी दस गुना यानी 50 लाख के आसपास हो सकता है.
गरीब देशों में 20 गुना से ज्यादा रही कोविड-19 मौतें
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित से लेकर विकासशील देशों ने कोरोना से हुई मौत के आंकड़े ठीक से एकत्र नहीं किए. इसके लिए प्रत्येक देश ने अपने हिसाब से अलग-अलग मापदंड तय किए. रिपोर्ट ने उदाहरण दे समझाया है कि नीदरलैंड ने अस्पताल में मरने वाले कोरोना संक्रमित लोगों की ही गिनती की, तो बेल्जियम ने जुकाम जैसे लक्षणों से हुई हर मौत को बगैर जांच किए कोरोना मत्यु करार दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि धनी देशों में मौते के आंकड़े ऊपर रहे और गरीब देशों में कम, लेकिन 116 देशों का डब्ल्यूएमडी का विश्लेषण कहता है कि गरीब देशों में कोरोना संक्रमण से हुई मौतें कम दर्ज हुईं. दोनों ही का मॉडल कहता है कि धनी देशों में कोरोना की वास्तविक मौतें मौजूदा आंकड़ों के एक-तिहाई से ज्यादा हो सकती हैं, जबकि गरीब देशों में कोरोना मौतें मौजूदा आंकड़ों से 20 गुना तक अधिक हो सकती हैं.
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डब्ल्यूएचओ जारी कर सकता है कोरोना मौतों का आंकड़ा
इसके साथ ही कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना मौतों को लेकर अपना पहला आकलन बहुत जल्द जारी कर सकता है. इस पर काम चल रहा है. रिपोर्ट में कई विशेषज्ञों की राय लेते हुए यह नतीजा निकाला गया है कि कोरोना से हुई वास्तविक मौतों के आकलन के लिए कोरोनाकाल से पहले के पांच सालों की मौतों की तुलना महामारी काल से करनी होगी. गौरतलब है कि कोरोना महामारी 1918-20 के दौरान फैली स्पेनिश फ्लू के बाद सबसे बड़ी महामारी है. उन दिनों फ्लू की चपेट में आकर करीब 7.5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद 2009 में फ्लू से चार लाख, 1968 में 22 लाख, 1957-59 में 31 लाख लोगों की मौत हुई.
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भारत में दस गुना ज्यादा है कोरोना मौतों का आंकड़ा
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अब तक कोरोना संक्रमण से करीब पांच लाख मौतें बताई जा रही हैं, लेकिन इकोनोमिस्ट का आकलन बताता है कि यह आंकड़ा दस गुना ज्यादा यानी 50 लाख तक पहुंच सकता है. चीन को लेकर भी कहा गया है कि वहां 7.5 लाख मौतें हो चुकी होंगी, जो बीजिंग प्रशासन द्वारा स्वीकार की गई संख्या का 150 फीसदी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस, अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको, ईरान, दक्षिण अफ्रीका, पेरु, मिस्त्र, फिलिपीन्स तथा इटली में वास्तविक मौतों से कहीं कम संख्या में मौतें दर्ज की गई हैं.
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