Corona Virus संक्रमण की वजह से दक्षिण पूर्व एशिया में फीका हुआ ईद का रंग

इंडोनेशिया में लाखों मुस्लिमों के लिए ईद-उल-फितर (Eid 2020) की छुट्टियां इस बार उदासी से भरी हुई हैं. रोजे रखने के पाक महीने रमजान के अंत में आमतौर पर तीन दिन तक बड़े उत्साह से जश्न मनाया जाता है लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद यह उत

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Vineeta Mandal
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Eid 2020( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

इंडोनेशिया में लाखों मुस्लिमों के लिए ईद-उल-फितर (Eid 2020) की छुट्टियां इस बार उदासी से भरी हुई हैं. रोजे रखने के पाक महीने रमजान के अंत में आमतौर पर तीन दिन तक बड़े उत्साह से जश्न मनाया जाता है लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद यह उत्साह इस बार ठंडा पड़ गया है. विश्व के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश में संक्रमण के करीब 22,000 मामले सामने आए हैं और 1,350 लोगों की मौत हुई है जो दक्षिणपूर्व एशिया में सबसे अधिक है. इसे देखते हुए मस्जिदों या खुले मैदानों में इस बार एकजुट होकर न नमाज पढ़ी जा सकेगी, न परिवारों का मिलना-जुलना होगा और न रिश्तेदार इस बार बच्चों को ईदी (तोहफे) दे पाएंगे.

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जकार्ता के विश्वविद्यालय में पढ़ रहे एक छात्र अनदेका रब्बानी ने कहा, 'इस प्रकोप ने न सिर्फ ईद के उल्लास को मंद किया है बल्कि पूरी परंपरा को ही अलग तरीके से मनाने पर मजबूर किया है.' इस वर्ष, रब्बानी भी इंडोनेशिया के अन्य लोगों की तरह अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को वीडियो कॉल के जरिए ही ईद की बधाई दे पाएंगे.

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आचेह इंडोनेशिया का एकमात्र प्रांत है, जहां इस्लामी शरिया कानून लागू है. इस बेहद रूढ़िवादी प्रांत में मस्जिदों और मैदानों में सार्वजनिक रूप से ईद की नमाज पढ़ी जा सकेगी, लेकिन ऐसा किसी से हाथ मिलाए बिना और सीमित धर्मोपदेश के साथ किया जाएगा. अल्लाह के नाम का आह्वान कर लाउडस्पीकरों के साथ सजे वाहनों की सार्वजनिक परेड इस साल प्रतिबंधित है.

आचेह के ल्होकसियुमावे शहर निवासी मुश्तार यूसुफ ने कहा, 'यह बहुत दुखद है. पूरे हफ्ते त्योहार मनाया जाता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है.' आचेह के विपरीत, जकार्ता की मस्जिदें और मैदान, जो ईद के दिन आमतौर पर भरे रहते थे, इस बार खाली दिखेंगे.

जकार्ता में अधिकारियों ने लॉकडाउन को चार जून तक बढ़ा दिया है, सांप्रदायिक सभाओं पर रोक लगा दी है और निजी कारों के राजधानी से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. जकार्ता इंडोनेशिया में कोविड-19 प्रकोप का केंद्र बन गया है, जहां शनिवार तक संक्रमण के 6,515 मामले सामने आए, जिनमें से 501 लोगों की मौत हो गई है.

पड़ोसी मुस्लिम बहुल मलेशिया में भी ईद का उत्साह इस बार फीका है. यहां बंद के बाद अधिकतर व्यवसाय खुल गए हैं, लेकिन लोगों के सामूहिक रूप से जुटने पर रोक अब भी लागू है औरमलय मुस्लिमों को उनके गांव वापस जाने की इजाजत नहीं दी गयी.

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पुलिस ने पिछले कुछ दिन में अपने घरों की ओर जा रहे लोगों को लौटा दिया है. ऐसी पांच हजार से ज्यादा कारों को लौटा दिया गया और चोरी-छिपे निकलने की कोशिश करने वालों पर कड़ा जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गयी है. महामारी की वजह से मलेशिया में पारंपरिक ‘ओेपन हाउस’ कार्यक्रम भी निरस्त कर दिया गया है जिनका आयोजन आमतौर पर प्रधानमंत्री और सरकारी अधिकारी करते हैं और जिनमें हजारों लोग जमा होते हैं.

इस साल सरकार ने यहां लोगों को केवल रविवार को पास में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति दी है लेकिन एक ही घर में 20 से ज्यादा लोगों को जमा नहीं होने दिया जाएगा. यहां मस्जिदों को पुन: खोल दिया गया है लेकिन केवल 30 तक लोग इकट्ठे हो सकते हैं. मलेशिया में कोरोना वायरस संक्रमण के 7185 मामले सामने आए हैं और 115 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन अधिकारियों को डर है कि ईद उत्सव से चलते लोग सामाजिक दूरी औरस्वास्थ्य संबंधी उपायों की उपेक्षा करेंगे तो मामले बढ़ सकते हैं.

शनिवार को प्रसारित ईद के संदेश में प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से जिम्मेदारी से बर्ताव करने औरस्वास्थ्य संबंधी सख्त दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा. उन्होंने कहा, 'जीवन को बचाने के लिए हमें अपनी कुछ परंपराओं औरनियमों को त्यागना होगा ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.' यह पहली बार है जब पाकिस्तान देशभर में एक ही दिन ईद का त्योहार मना रहा है.

पिछले वर्षों में पाकिस्तान के अफगानिस्तान से लगते खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में ईद एक दिन पहले मना ली गई थी और बाकी के देश में उसके बाद. पाकिस्तान में कोरोना वायरस के कारण मार्च माह के मध्य से लॉकडाउन है. लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान ने कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों और डॉक्टरों की अपील के बावजूद रमजान के दौरान मस्जिदों को बंद करने से इनकार कर दिया.

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