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क्रिसमस और न्यू ईयर के सेलिब्रेशन पर कितना होगा कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन का असर ?

दो साल से पर्व त्योहारों को खुलकर नहीं मना पा रहे लोगों के सामने ईसाइयों के सबसे बड़े त्योहार क्रिसमस (Chrismas) और दुनियाभर में नए साल (Happy New Year) जश्न को मनाने को लेकर सवाल खड़ा हो गया है.

Updated on: 21 Dec 2021, 10:10 AM

highlights

  • कई देशों में ओमीक्रॉन पर रोकथाम को लेकर पाबंदियों की शुरुआत हो गई
  • क्रिसमस में अभी लगभग तीन और नए साल में चार सप्ताह का वक्त
  • बीते साल यीशु के जन्मस्थान बेथलेहम में क्रिसमस फीका रहा था

New Delhi:

कोरोनावायरस (Coronavirus) के नए और सबसे संक्रामक वेरिएंट ओमीक्रॉन (Omicron) के लगातार बढ़ते मामले को लेकर दुनियाभर में फिर से चिंता बढ़ गई है. दो साल से पर्व त्योहारों को खुलकर नहीं मना पा रहे लोगों के सामने ईसाइयों के सबसे बड़े त्योहार क्रिसमस (Chrismas) और दुनियाभर में नए साल (Happy New Year) जश्न को मनाने को लेकर सवाल खड़ा हो गया है. दुनिया में सबसे पहले यूरोपियन यूनियन के जर्मनी में क्रिसमस की आवाजाही को लेकर एहतियातन कदम उठाए गए हैं. जर्मनी के भावी ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने क्रिसमस को लेकर बड़ी संख्या में आवाजाही को नियंत्रित करने की सलाह दी है.

दुनिया के कई देशों में ओमीक्रॉन संक्रमण पर रोकथाम को लेकर पाबंदियों की शुरुआत हो गई है. क्रिसमस आने में अभी लगभग तीन सप्ताह बाकी है. इसके ठीक एक सप्ताह बाद नए साल का जश्न. पूरी दुनिया में इस मौके पर भारी भीड़ पूरे जोश में जश्न मनाती है. इसलिए इसको लेकर कोरोनावायरस के खिलाफ जंग लड़ रही दुनिया को पहले से सावधानियों और सुरक्षा उपायों को अपनाने पर जोर देना होगा. जर्मनी ने इसकी शुरुआत कर दी है. भारत में खासकर इस बारे में कोई बात नहीं की गई है. हालांकि सभी पर्व त्योहारों को लेकर पहले से ही कई दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं.

कोरोना की भेंट चढ़े हरिद्वार कुंभ समेत ये पर्व त्योहार

भारत में साल 2020 में होली के तुरंत बाद कोरोनावायरस को लेकर लॉकडाउन लगा था. पहली लहर के बाद ईद के आसपास अनलॉक पहले चरण की शुरुआत हो पाई थी. दीपावली को लेकर काफी शोर-शराबे हुए और दूसरी लहर में साल 2021 की शुरुआत में फिर से कई तरह की पाबंदियों का सामना करना पड़ा था. हरिद्वार कुंभ को तय समय से पहले स्थगित करना पड़ा था. कई राज्यों में चुनावी गतिविधियों को लेकर नई गाइडलाइंस जारी करनी पड़ी थी. केरल में शबरीमाला मंदिर, महाराष्ट्र में जन्माष्टमी, गुजरात में गरबा, उत्तर प्रदेश में 84 कोस की परिक्रमा, ओडिसा में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा और माता वैष्णोदेवी की यात्रा, दिल्ली में रामलीला और घाटों पर और ऐसे कितने ही पर्व त्योहार सामूहिक तौर पर नहीं बल्कि सांकेतिक तौर पर मनाए गए. इनसे जुड़े मामले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे.

पिछले साल दुनिया भर में इस तरह मना था क्रिसमस-न्यू ईयर

पिछले साल क्रिसमस और न्यू ईयर पर कई देशों में कोरोना को लेकर पाबंदियां नहीं दिखी थी. बाद में इसका असर भी उन देशों में देखने को मिला था. कोरोना केस लगाता बढ़े थे और मौतों की संख्या भी बढ़ी थी. वहीं कई पश्चिमी देशों कड़े प्रतिबंध जारी रहे. यहां तक कि यीशु के जन्मस्थान बेथलेहम में क्रिसमस की धूमधाम नहीं रही. क्रिसमस की पूर्व संध्या पर वहां ‘मार्चिंग बैंड’ निकालकर शीर्ष कैथोलिक पादरी का स्वागत किया गया, लेकिन कोरोनावायरस के कारण वहां कम लोग मौजूद थे. कड़े लॉकडाउन के कारण जश्न फीका रहा.

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दुनियाभर में बीते साल क्रिसमस पर कोविड-19 की वजह से पारिवारिक कार्यक्रमों और प्रार्थनाओं में शामिल होने वाले लोगों की संख्या या तो सीमित कर दी गई या उन्हें रद्द कर दिया गया. पोप फ्रांसिस ने पहले ही लोगों से कहा था कि कोविड-19 से लड़ने के लिए सुरक्षा उपायों का पालन करें. सेंट पीटर बेसिलिका में क्रिसमस की प्रार्थना रात साढे़ नौ बजे की बजाय शाम साढ़े सात बजे की गई थी. भारत की राजधानी नई दिल्ली में क्रिसमस के अवसर पर सबसे बड़ा चर्च पहली बार बंद रहा था.

सबसे पहले न्यूजीलैंड में नए साल 2021 का आगाज हुआ था. वहां के लोगों ने पटाखे फोड़कर नए साल का स्वागत किया गया. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में धूम-धड़ाके के साथ नए साल 2021 का स्वागत किया गया था. दुनिया में सबसे पहले नया साल टोंगा, समोआ और किरिबाती द्वीपों में मनाया गया था. यूएस माइनर आउटलाइंग द्वीप समूह में सबसे आखिर में नया साल शुरू हुआ था. यूनाइटेड किंगडम में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन के बाद दुनियाभर में दहशत का माहौल बना रहा था.