सावधान! UN ने 'कोड रेड' में भारत के लिए तबाही की भविष्यवाणी की
यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में अगले कुछ दशकों के दौरान प्रचंड लू, तेज बारिश और भयंकर चक्रवाती तूफान आने की आशंका है.
नई दिल्ली :
भारत के लिए एक बेहद ही चिंता का विषय सामने आया है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने 'कोड रेड' रिपोर्ट जारी किया है. जिसमें पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में अगले कुछ दशकों में भयंकर परिवर्तन आने वाले हैं. यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में अगले कुछ दशकों के दौरान प्रचंड लू, तेज बारिश और भयंकर चक्रवाती तूफान आने की आशंका है. इसके साथ ही भारत में सूखे के हालात पैदा होंगे. बता दें कि धरती का तापमान अनुमान से कई गुना ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इसके लिए मानव जाति जिम्मेदार है.
संयुक्त राष्ट्र ने 3000 पन्नों की रिपोर्ट जिसे 66 देशों के 234 वैज्ञानिकों ने तैयार किया है उसके आधार पर यह बात कही.रिपोर्ट के मुताबिक,मानव प्रभाव ने कम से कम पिछले 2,000 वर्षों में अभूतपूर्व दर से जलवायु को गर्म कर दिया है
भीषण गर्मी का वक्त बढ़ रहा है जबकि सर्दी के वक्त में कमी आ रही है. बारिश के पैटर्न में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशियाई मॉनसून 20वीं सदी के दूसरे हिस्से में पहले ही कमजोर हो चुका है. इसकी वजह वायु प्रदूषण है जिसे इंसान पैदा कर रहे हैं.
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जल स्तर बढ़ने से तटीय इलाकों को नुकसान हो रहा है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिंद महासागर का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है. कम से कम पिछले 3,000 वर्षों में किसी भी पिछली सदी की तुलना में 1900 के बाद से वैश्विक औसत समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ा है. जल स्तर बढ़ने से तटीय इलाकों को नुकसान हो रहा है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मानव गतिविधियों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 1850-1900 के बीच लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है, और यह पता चलता है कि अगले 20 वर्षों में औसतन वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने या उससे अधिक होने की आशंका है.
बाढ़, भूस्खलन के साथ झीलों से अचानक पानी का बहाव होने की आशंका बढ़ेगी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंदुकुश की पहाड़ियों में मौजूदा ग्लेशियरों के सिकुड़ने का सिलसिला जारी रहेगा. बर्फ की मौजूदगी और ऊंचाई सीमित होती जाएगी. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इलाके में भारी बारिश से बाढ़, भूस्खलन के साथ झीलों से अचानक पानी का बहाव होने की आशंका बढ़ेगी.भारत, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान की 130 करोड़ आबादी नदी बेसिन पर निर्भर है.
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वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के चलते भारत को लू और बाढ़ के खतरों का सामना करना पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र के गर्म होने से जलस्तर बढ़ेगा जिससे तटीय क्षेत्रों और निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ेगा.
बाढ़ और सूखे से मानव जाति करेगी त्राहिमाम
वैज्ञानिकों द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी वर्षा की घटनाओं से बाढ़ की आशंका और सूखे की स्थिति का भी सामना करना होगागले 20-30 वर्षों में भारत में आंतरिक मौसमी कारकों के कारण बारिश में बहुत इजाफे की बात नहीं है. मगर 21वीं सदी के अंत तक सालाना और ग्रीष्मकालीन मॉनसून बारिश, दोनों बढ़ेंगे.भारत, चीन और रूस में गर्मी का प्रकोप बहुत बढ़ जाएगा.
कुछ बदलाव सदियों तक नहीं जा सकता पलटा
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंसानों द्वारा वायुमंडल में उत्सर्जित की जा चुकी हरित गैसों के कारण तापमान “लॉक्ड इन” (निर्धारित) हो चुका है. इसका मतलब है कि अगर उत्सर्जन में नाटकीय रूप से कमी आ भी जाती है, कुछ बदलावों को सदियों तक “पलटा” नहीं जा सकेगा.
रिपोर्ट में कुछ अच्छे संकेत भी
रिपोर्ट में तबाही की आशंका जताई गई है. लेकिन आईपीसीसी को कुछ हौसला बढ़ाने वाले संकेत भी मिले हैं, जैसे - विनाशकारी बर्फ की चादर के ढहने और समुद्र के बहाव में अचानक कमी जैसी घटनाओं की कम संभावना है हालांकि इन्हें पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता. बता दें कि आईपीसीसी सरकार और संगठनों द्वारा स्वतंत्र विशेषज्ञों की समिति जलवायु परिवर्तन पर श्रेष्ठ संभव वैज्ञानिक सहमति प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है.ये वैज्ञानिक वैश्विक तापमान में वृद्धि से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर समय-समय पर रिपोर्ट देते रहते हैं जो आगे की दिशा निर्धारित करने में अहम होती है.
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