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एक तरफ लद्दाख सीमा पर तनाव कम करने की कोशिश, दूसरी तरफ चीन की भारत को धमकी

सीमा (Indo-China Border) पर तनाव कम करने के प्रयासों को बीजिंग का सरकारी मीडिया पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. अब चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार को फिर धमकी दी है.

Updated on: 12 Jun 2020, 09:24 AM

highlights

  • बीजिंग का सरकारी मीडिया भारत-चीन संबंध बहाली में लगा रहा है पलीता.
  • अमेरिका संग जाने पर दी मोदी सरकार को भारी कीमत चुकाने की चेतावनी.
  • ग्लोबल टाइम्स ने अपनी संपादकीय में भारत को पढ़ाया नसीहत का पाठ.

बीजिंग:

पूर्वी लद्दाख (Ladakh) और सिक्किम (Sikkim) में भारत-चीन सीमा पर जारी गतिरोध सैन्य स्तर की बातचीत के बाद दूर हो रहा है. हालांकि ऐसा लगता है कि दोनों देशों के बीच सीमा (Indo-China Border) पर तनाव कम करने के प्रयासों को बीजिंग का सरकारी मीडिया पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. अब चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार को फिर धमकी दी है. अखबार ने अपनी संपादकीय में लिखा है कि भारत शुरुआत से गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत का पालन करता आया है. ऐसे में उसे इसी नीति पर चलना चाहिए और अमेरिका (America) से दूरी बनाए रखनी चाहिए. अगर मोदी सरकार भारत-चीन के दि्वपक्षीय मसलों को लेकर अमेरिका के पास जाती है, तो चीन अपने हितों की रक्षा के लिए राजनीतिक या आर्थिक स्तर पर कदम उठाने से कतई नहीं हिचकेगा.

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अपनाया ठंडा-गर्म रुख
चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत को धमकाते हुए अपनी संपादकीय में लिखा है, 'कुछ हद तक भारत-चीन सीमा पर तनाव कम होने से दोनों देशों के बीच भविष्‍य में आर्थिक और व्‍यापारिक आदान-प्रदान करने का मौका मिलेगा. यह दोनों ही देशों के हित में है. यदि तनाव बना रहता या सबसे खराब स्थिति में संघर्ष में बदलता तो भारत-चीन संबंधों में कुछ खास नहीं बचता. अगर राजनीति का अर्थव्‍यवस्‍था और व्यापार पर असर देखें तो द्विपक्षीय व्‍यापार निस्‍संदेह प्रभावित होता क्‍योंकि भारत में चीन विरोधी भावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.' हालांकि समाचार पक्ष यह भी लिखता है, 'अब तक ऐसा लगता है कि सबकुछ सकारात्‍मक दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है जो सीमा पर तनाव के कम होने का संकेत दे रहा है. इसका मतलब है कि भविष्‍य में द्विपक्षीय आर्थिक और व्‍यापारिक सहयोग बढ़ेगा जो भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को राहत देगा. वह भी तब जब भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पहले से ही लड़खड़ा रही है'.

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भारत करे गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन
इसके साथ ही अखबार चेतावनी भरे अंदाज में लिखता है कि हालिया दौर में वैश्विक भूराजनीतिक स्थिति और ज्‍यादा जटिल हो गई है. चीन और अमेरिका के र‍िश्‍ते नए शीत युद्ध की कगार पर है और इसी बीच ऑस्‍ट्रेलिया और भारत ने एक नए व्‍यापक रणनीतिक भागीदारी का ऐलान किया है. चीनी समाचार पत्र ने लिखा, 'इस मौके पर भारत अतिरिक्‍त भू-राजनीतिक दबाव और लालच का सामना कर रहा है. भारत ने लंबे समय से अपनी विदेशी नीति में गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन किया है. यह अभी देखना होगा कि भारत लंबे समय चली आ रही अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति और अपनी राजनयिक स्‍वतंत्रता को बरकरार रखता है या बदलते भूराजनीतिक माहौल में अमेरिका के नेतृत्‍व वाले गठजोड़ की तरफ झुकता है.'

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चीनी दोस्त खोना महंगा पड़ेगा मोदी को
ग्‍लोबल टाइम्‍स ने लिखा, 'यदि मोदी सरकार चीन को अपना दोस्‍त बनाने को चुनती है तो चीन-भारत आर्थिक संबंध निश्चित रूप से और ज्‍यादा बढ़ेंगे. हालांकि अगर भारत चीन को कमजोर करने के लिए अमेरिका के साथ गया तो चीन अपने हितों की रक्षा के लिए हिचकेगा नहीं, फिर चाहे वे राजनीतिक हों या आर्थिक. भारत के लिए चीन की दोस्‍ती को खोने की कीमत बहुत ज्‍यादा होगी जिसे सहना उसके लिए काफी मुश्किल होगा.' ग्लोबल टाइम्‍स ने चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्‍ता हुआ चुनयिंग के हवाले से कहा कि चीन और भारत ने दोनों पक्षों के बीच बनी आम सहमति के बाद सीमा पर तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं. चीनी अखबार ने कहा कि कुछ विश्‍लेषकों ने आधिकारिक बयान की प्रशंसा की है जो इस बात के स्‍पष्‍ट संकेत देता है कि दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध कम हो रहा है. समाचार पत्र ने ल‍िखा कि भारत में लॉकडाउन से अर्थव्‍यवस्‍था की हालत खराब है और शहरी बेरोजजारी दर मई में 27 प्रतिशत पहुंच गई. इस बीच टिड्डे भी भविष्‍य में भारत में बड़ा हमला कर सकते हैं. इससे फूड सप्‍लाइ पर अतिरिक्‍त भार पड़ेगा. भारत सरकार को इसे गंभीरतापूर्वक लेने की जरूरत है.