logo-image

भारत से तनाव के बीच नेपाल से तिब्बत तक रेल लाइन बिछा रहा चीन

भारत से सीमा पर तनाव के बीच चीन ने नेपाल (Nepal) से तिब्बत (Tibet) तक रेल लाइन बिछाने का काम और तेज कर दिया है. इस रेल लाइन को सामरिक दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है.

Updated on: 07 Sep 2020, 09:58 AM

काठमांडू:

भारत-चीन सीमा विवाद के बीच नेपाल (Nepal) पर बार फिर चीन के बहकावे में आकर भारत विरोधी अभियान में चीन का साथ देने में लगा है. चीन बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत नेपाल से लेकर तिब्बत (Tibet) तक रेल लाइन बिछा रहा है. यह रेल लाइन भारतीय सीमा के बेहद करीब से होकर गुजरती है. चीन के कुछ दिनों से इस रेल लाइन के निर्माण का काम काफी तेज कर दिया है. चिंताजनक बात यह है कि चीन ने इस रेल प्रोजेक्ट के लिए पहले से भी ज्यादा निवेश करने का फैसला लिया है. जानकारी के मुताबिक 72 किलोमीटर लंबी ये रेल लाइन तिब्बत से काठमांडू होकर लुंबिनी तक जाएगी.

यह भी पढ़ेंः फिर हिली मुंबई, महसूस किए गए 3.5 तीव्रता के भूकंप के झटके

चीन करेगा 146 अरब डॉलर का निवेश
जानकारी के मुताबिक बॉर्डर रोड इंफ्रास्ट्रक्टचर (BRI) के तहत चीन नए सिल्क रोड के प्लान पर काम कर रहा है. इसके लिए चीन ने कई देशों के साथ डील भी की है. एक तरफ चीन नेपाल के साथ मिलकर रेल प्रोजेक्ट को बढ़ा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के साथ इकॉनोमिक कॉरिडोर (CPEC) का निर्माण कर रहा है. जानकारी के मुताबिक हाल ही में चीन ने तिब्बत में इन्फ्रास्ट्रक्चर में करीब 146 अरब डॉलर निवेश करने का प्लान बनाया है. चीन तिब्बत-नेपाल के बीच काठमांडू और तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगात्से को जोड़ने वाली रेलवे लाइन पर भी जोर दे रहा है. बता दें कि नेपाल के स्थानीय लोगों के बीच ये प्रॉजेक्ट 'कागतको रेल' (पेपर रेल) और 'सपनको रेल' (सपनों की रेल) कहकर प्रोजेक्ट किया जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः राष्ट्रपति कोविंद और पीएम मोदी नई शिक्षा नीति पर आज राज्यपालों से करेंगे बात

काफी महत्वपूर्ण है ये रेल लाइन
जानकारी के मुताबिक बीआरआई के तहत 72 किमी रेलवे लाइन तिब्बत से काठमांडू होकर लुंबिनी तक जाएगी जो भारतीय सीमा के करीब है. यहां नेपाल चीन और भारत के बीच का बफर जोन है जिसे भारत अपना प्राकृतिक साथी मानता है लेकिन चीन ने इस प्रोजेक्ट के जरिए वहां अपनी पैठ बढ़ानी शुरू कर दी है. चीन लगातार नेपाल के इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स में बड़े स्तर पर निवेश कर रहा है. साल 2018 में इसके लिए नेपाल और चीन के बीच में डील हुई थी लेकिन CPEC पर हो रहे खर्चे के चलते इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया था.