BRICS में भारत की दोहरी कूटनीतिक जीत, चीन ने लगाई पाकिस्तान के 'आतंकी समर्थक' होने पर मुहर
बीजिंग में ब्रिक्स देशों का 9वां सम्मेलन पाकिस्तान के लिए बड़ा कूटनीतिक झटका साबित हुआ है।
highlights
- बीजिंग में ब्रिक्स देशों का 9वां सम्मेलन पाकिस्तान के लिए बड़ा कूटनीतिक झटका साबित हुआ है
- चीन ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले में पाकिस्तान की भूमिका पर एक तरह से मुहर लगा दी है
New Delhi:
बीजिंग में ब्रिक्स देशों का 9वां सम्मेलन सदस्य देश नहीं होने के बावजदू पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। वहीं भारत के लिए यह 'दोहरी कूटनीतिक' सफलता का मंच बनकर उभरा है।
वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर पाकिस्तान के साथ मजबूती से खड़ा रहने वाले चीन ने ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले में पाकिस्तान की भूमिका पर एक तरह से मुहर लगा दी है।
भारत, रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की सदस्यता वाले ब्रिक्स समूह ने पहली बार अपने घोषणापत्र में भारत के खिलाफ काम करने वाले पाकिस्तानी आतंकी समूहों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को वैश्विक आतंकी समूह के तौर पर चिह्नित किया है।
दोनों ही संगठन भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों में शामिल रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा जहां मुंबई हमले के पीछे शामिल रहा है वहीं पठानकोट हमले में जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका रही है।
ब्रिक्स घोषणापत्र में जैश-ए-मोहम्मद को आतंकी संगठन के तौर पर शामिल किए जाने के बाद चीन के लिए संयुक्त राष्ट्र में भारत के उस प्रस्ताव को बचाव करना अब मुश्किल होगा, जिसमें वह मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग करता रहा है।
चीन-पाकिस्तान रिश्तों में बढ़ेगा तनाव
माना जा रहा है कि चीन की इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के साथ उसके कूटनीतिक रिश्तों में तनाव आ सकता है, जिसका असर दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को प्रभावित करेगा।
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चीन पाकिस्तान के बलोचिस्तान में 45 अरब डॉलर की लागत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का निर्माण कर रहा है, जो यूरोप-एशिया और अफ्रीका को जोड़ने वाली चीन की महत्वाकांक्षी 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना का हिस्सा रहा है।
'वन बेल्ट वन रोड' में सीपीईसी की अहम भूमिका है, और इसके लिए चीन बुरी तरह से पाकिस्तान पर निर्भर है। पाकिस्तान की नाराजगी चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर भारी पड़ सकती है।
पाकिस्तान में उग्र होंगे चरमपंथी संगठन
वहीं चीन का यह फैसला पाकिस्तान में चरमपंथी संगठनों को सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने का मौका दे सकता है। पाकिस्तान के लिए इस दबाव को झेलना मुश्किल होगा।
पाकिस्तान में एक तरह से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में लश्कर और जैश को शामिल किए जाने के बाद लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन जमात-उद-दावा के प्रमुख अब्दुल रहमान मक्की ने जहां भारत के खिलाफ जेहाद की खुलेआम धमकी दी है, वहीं पाकिस्तान की सरकार को मुजाहिदीनों के रास्ते में नहीं आने की चेतावनी।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन, पाकिस्तान के रणनीतिक फायदों के मुताबिक भारत की हर कोशिश का विरोध करता रहा है। एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) में भी वह पाकिस्तान के हितों को ध्यान में रखते हुए भारत की सदस्यता के रास्ते में रोड़ा अटकाता रहा है।
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में चीन को ब्रिक्स घोषणापत्र को लेकर पाकिस्तान को सफाई देनी पड़ सकती है।
अमेरिका के बाद चीन ने भी छोड़ा साथ
चीन ने ऐसे समय में पाकिस्तान के आतंकी 'समर्थक' होने पर मुहर लगाई है, जब अफगानिस्तान युद्ध में एक दशक से अधिक समय से उलझे अमेरिका ने दक्षिण एशिया में अपने सहयोगी पाकिस्तान से दूरी बनाना शुरू कर दिया है।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ी है। राष्ट्रपति ट्रंप आतंक के खिलाफ मनमुताबिक कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर पाकिस्तान को कई बार क़ड़ी फटकार लगा चुके हैं।
अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को 25 करोड़ डॉलर की दी जाने वाली सैन्य मदद पर रोक लगा दी है।
पाकिस्तान को झटका, US ने सैन्य मदद के लिए फिर लगाई शर्त
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने दक्षिण एशिया विशेषकर अफगानिस्तान-पाकिस्तान नीति के मामले में भारत को तरजीह देना शुरू कर दिया है, जिसे लेकर पाकिस्तान में नाराजगी है।
पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली प्रस्ताव पारित कर अमेरिका के नये अफगान तथा दक्षिण एशिया नीति में भारत को तरजीह देने का विरोध कर चुकी है।
पिछले एक साल में दक्षिण एशिया की राजनीति में भारत की भूमिका तेजी से प्रभावी हुई है और उतनी ही तेजी से पाकिस्तान का 'अलगाव' बढ़ा है।
पिछले साल गोवा में 8वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी लेकिन चीन के इस्लामाबाद का पक्ष लिए जाने के बाद यह संभव नहीं हो पाया था।
लेकिन 9वें ब्रिक्स सम्मेलन में भारत एक साथ पाकिस्तान और चीन दोनों पर कूटनीतिक बढ़त बनाने में सफल रहा है। भारत बीजिंग की धरती से चीन से इस बात पर मुहर लगवाने में सफल रहा है कि उसका 'करीबी' देश पाकिस्तान भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकी संगठनों का 'मददगार' देश रहा है।
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