भारत ने ईरान से डील कर अमेरिका को दिखाया आईना, जानें क्या है चाबहार बंदरगाह डील?

Chabahar Port Deal: चाबहार बंदरगाह को लेकर आखिरकार भारत और ईरान के बीच डील पक्की हो गई. इसी के साथ भारत के पास 10 साल के लिए इसके संचालन का अधिकार भी आ गया.

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Suhel Khan
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Chabahar Port agreement( Photo Credit : Social Media)

Chabahar Port Deal: भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर डील पक्की हो गई है. इसी के साथ पिछले दो दशक से ज्यादा से इस बंदरगाह को लेकर भारत की कोशिशों को भी सफलता मिल गई. इस डील के तहत इस बंदरगाह के संचालन का करार हुआ है. इसके बाद अब अगले 10 साल तक भारत इस पोर्ट का संचालन करेगा. इसके साथ ही मध्य एशिया और रूस तक भारत की सीधी पहुंच मुमकिन हो जाएगी. बता दें कि ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में बना चाबहार बंदरगाह भारत के सबसे करीब है. जो गुजरात के कांडला पोर्ट से सिर्फ 550 नॉटिकल मील और मुंबई से  786 नॉटिकल मील की दूरी पर है. 

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बड़े जहाज भेजने में मिलेगी मदद

चाबहार बंदरगाह का संचालन भारत के हाथ में आने के बाद अब यहां से बड़े जहाजों को भेजने में मदद मिलेगी. जिसकी भारत को काफी जरूरत थी. क्योंकि अब तक भारत को ईरान, अफगानिस्तान और रूस जैसे देशों तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान से होकर गुजरना पड़ता था. लेकिन अब भारत सीधे इन देशों तक पहुंच सकेगा. इसके अलावा चाबहार बंदरगाह के महत्व को इस प्रकार से भी समझा जा सकता है कि अमेरिकी से मिली तमाम धमकियों के बाद भी भारत ने इस डील से अपने हाथ पीछे नहीं खींचे.

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पाकिस्तान को किनारे लगाने का सही मौका

चाबहार बंदरगाह के संचालन का नियंत्रण भारत के हाथ में आने के बाद भारत के पास पाकिस्तान को किनारे लगाने का सही मौका है. क्योंकि भारत की पहुंच अब सीधे अफगानिस्तान होगी. इसके साथ ही वह ईरान तक पहुंच सकेगा. यही नहीं इन देशों के जरिए भारत मध्य एशिया में भी अपनी पकड़ मजबूत बना लेगा. साथ ही रूस तक भी भारत की पहुंच आसान हो जाएगी. बता दें कि ईरान ने इस बंदरगाह की शुरुआत 1973 में की थी. इसके 30 साल बाद यानी 2003 में भारत ने चाबहार बंदरगार को डेवलप करने की इच्छा जताई थी. तब भारत ने कहा था कि इससे अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से जुड़ने में मदद मिलेगी. वहीं 2008 में भारत और ईरान के बीच इस बंदरगाह को लेकर करार हुआ था.

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ईरान पर लगी पाबंदियों की वजह से हुई देरी

इस बंदरगाह की डील में काफी देरी हुई. जिसकी वजह ईरान पर लगी पाबंदियां रहीं. हालांकि मोदी सरकार की पहल के चलते इसे लेकर करार पूरा हो गया. इस डील के तहत अब चाबहार बंदरगाह का मैनेजमेंट अगले 10 सालों तक भारत के पास रहेगा. बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत ने इस बंदरगाह को लेकर तमाम कोशिशें कर रहा था. साल 2016 में पीएम मोदी ईरान गए थे. तब अफगानिस्तान, भारत और ईरान के बीच चाबहार को लेकर करार हुआ था. इसके बाद 2018 में जब हसन रूहानी दिल्ली आए तो इस परियोजना में भारत की भूमिका बढ़ाने पर बात हुई थी. इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस साल ईरान की यात्रा की तो इस डील पर मुहर लग गई.

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