अशरफ़ ग़नी: कुलपति से राष्ट्रपति तक के सफर में कई पड़ाव
अशरफ़ ग़नी का जन्म 19 मई 1949 को अफगानिस्तान के लोगर प्रांत में हुआ था. उनका पूरा नाम मोहम्मद अशरफ़ ग़नी अहमदज़ई है. वे अहमदज़ई पश्तून कबीले के हैं.
highlights
- 9 मई 1949 को अफगानिस्तान के लोगर प्रांत में हुआ था अशरफ़ ग़नी का जन्म
- दिसंबर 2001 में 24 वर्षों के बाद अफगानिस्तान वापस लौटे अशरफ गनी
- गनी 1 फरवरी 2002 को राष्ट्रपति हामिद करजई के बने थे मुख्य सलाहकार
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी अब देश छोड़कर अमेरिका में शरण लेने की कोशिश में हैं. तालिबान अब अफगानिस्तान का भाग्य-विधाता है. लेकिन अशरफ़ ग़नी अभी भी चर्चा के केंद्र में हैं. अशरफ़ ग़नी अफगानिस्तान के 14वें राष्ट्रपति हैं और हामिद करज़ई की जगह ली थी. 20 सितंबर 2014 को पहली बार तो 28 सितंबर 2019 को दूसरी बार गनी राष्ट्रपति निर्वाचित हुए और 15 अगस्त 2021 तक अफगानिस्तान के राष्ट्रपति पद पर आसीन रहे. राजनीति में आने के पहले अशरफ़ ग़नी एक प्रोफेसर, अर्थशास्त्री और विश्व बैंक के अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे थे. गनी राष्ट्रपति निर्वाचित होने के पहले अफगानिस्तान के वित्त मंत्री और काबुल विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं.
अशरफ़ ग़नी का जन्म 19 मई 1949 को अफगानिस्तान के लोगर प्रांत में हुआ था. उनका पूरा नाम मोहम्मद अशरफ़ ग़नी अहमदज़ई है. वे पश्तूनों के अहमदज़ई कबीले के हैं. एक विदेशी मुद्रा छात्र के रूप में गनी ने लेक ओस्वेगो में लेक ओस्वेगो हाई स्कूल में दाखिला लिया और1967 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. वह शुरू में कानून का अध्ययन करना चाहते थे लेकिन बाद में सांस्कृतिक नृविज्ञान की पढ़ाई की. गनी ने बेयरूत में अमेरिकी विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहां उन्होंने 1973 में स्नातक की डिग्री हासिल की, और उसके बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय से 1977 में अपनी मास्टर डिग्री और 1983 में पीएचडी की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात रूला से हुई जो बाद में उनकी पत्नी बनीं.
अशरफ गनी काबुल विश्वविद्यालय (1973-77) और डेनमार्क के आरहूस विश्वविद्यालय (1977) में एक प्रोफेसर के रूप में कार्य किया. अपनी पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद वह 1983 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले और फिर 1983 से 1991 तक जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में अध्यापन किया. गनी ने हार्वर्ड-इनसीड और वर्ल्ड बैंक-स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी भाग लिया. उनका अकादमिक शोध 'राज्य-निर्माण और सामाजिक परिवर्तन' पर था. 1985 में उन्होंने एक फुलब्राइट स्कॉलर के रूप में पाकिस्तानी मदरसों पर एक शोध भी किया. गनी 1991 में विश्व बैंक में शामिल हुए और '1990 के दशक के मध्य में पूर्वी और दक्षिण एशिया' विषय पर फेलोशिप पर काम किया.
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दिसंबर 2001 में 24 वर्षों के बाद अफगानिस्तान लौटकर, गनी 1 फरवरी 2002 को राष्ट्रपति हामिद करजई के मुख्य सलाहकार बनें. नई अफगान सरकार में शामिल होने के बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक में अपने पदों को छोड़ दिया.
एक स्वतंत्र राजनेता के रूप में गनी 2009 के राष्ट्रपति चुनाव में हामिद करज़ई, अब्दुल्ला अब्दुल्ला और रमज़ान बशारदोस्त के बाद चौथे स्थान पर आए. 2014 के राष्ट्रपति चुनाव के पहले दौर में गनी ने 35 प्रतिशत वोट हासिल किए, अब्दुल्ला ने 45 प्रतिशत वोट हासिल किए. हालांकि, दूसरे दौर में गनी को लगभग 55.3 प्रतिशत वोट मिले, जबकि अब्दुल्ला को लगभग 44.7 प्रतिशत वोट मिले। नतीजतन, अफगानिस्तान में अराजकता शुरू हो गई और अमेरिका ने सरकार में एकता स्थापित करने के लिए हस्तक्षेप किया.
गनी को एक बार फिर से राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया जब 18 फरवरी 2020 को एक लंबी देरी के बाद 2019 के राष्ट्रपति चुनावों के अंतिम परिणाम घोषित किए गए. उन्होंने 9 मार्च 2020 को दूसरे पांच साल के कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.
15 अगस्त 2021 को, अफगान अधिकारियों ने कहा कि गनी रविवार सुबह राष्ट्रपति भवन से अमेरिकी दूतावास के लिए निकल गए थे.दरअसल, तालिबान के काबुल में प्रवेश करते ही वह अफगानिस्तान छोड़कर चले गए.
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