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Article 370: पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने भारत के खिलाफ उगला जहर, कश्मीर पर दिया ज्ञान

Article 370 Verdict: अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पाकिस्तान में भी हलचल मच गई और उसके पाकिस्तान के नेताओं ने एक बार फिर से कश्मीर पर ज्ञान देना शुरू कर दिया.

Updated on: 12 Dec 2023, 01:56 PM

नई दिल्ली:

Article 370 Verdict: सोमवार (11 दिसंबर ) को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को सुप्रीम कोर्ट ने वैध ठहराया. जिसे लेकर पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा. इसके बाद पाकिस्तान के नेता कश्मीर पर ज्ञान देने लगे. इस मामले में पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत को दुष्ट तक कह दिया. उन्होंने कहा कि भारत अपने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मदद से संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्‍तावों को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहा है. हिना यहीं नहीं रुकी उन्होंन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भारत का 'दुष्‍ट' रवैया तक बता डाला. इससे पहले पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय ने भी सोमवार को एससी के फैसले पर प्रतिक्रिया दी थी. जिसमें पाकिस्तान की निराशा दिखाई दे रही थी.

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इसके बाद हिना रब्बानी खार ने भी भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया. उन्होंने एक्स पर लिखा, "कई देश अब भारत के दुष्ट व्यवहार का प्रत्यक्ष अनुभव कर रहे हैं. भारत ने अपने सर्वोच्च न्यायालय के घरेलू अदालत के फैसले का इस्तेमाल कर के शर्मनाक काम किया है." उन्होंने आगे लिखा, "भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीर पर अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को खत्म करने के लिए गलत फैसले ले रहा है. वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को साफतौर पर नजरअंदाज करने कर रहा है."

उन्होंने आगे कहा कि, "यह भी याद दिलाना होगा कि भारत ही कश्मीर का मामला संयुक्त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में ले गया था." उन्होंने कहा कि कोई भी घरेलू कार्रवाई, जो पूरे राज्य या उसके किसी हिस्से के भविष्य के बारे में की गई हो वो मान्य नहीं होता है.

विदेश मंत्री अब्बास जिलानी क्या बोले

यही नहीं हिना रब्बानी से पहल विदेश मंत्री जलील अब्‍बास जिलानी ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था. उन्होंने सोमवार को कहा कि, "पाकिस्‍तान, भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हरगिज नहीं मानता. उनकी मानें तो भारत के पास कश्‍मीर पर एकतरफा फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं है."

जिलानी ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान कहा कि, "भारत के सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले की कोई भी कानूनी मान्‍यता नहीं है. उनका कहना था कि जम्‍मू कश्‍मीर एक अंतरराष्‍ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त विवाद है जो पिछले सात दशकों से सुरक्षा परिषद के एजेंडे का हिस्‍सा है. जम्‍मू कश्‍मीर का अंतिम और निर्णायक स्थिति सुरक्षा परिषद के प्रस्‍ताव के तहत ही होगी, जो कश्‍मीर के लोगों की उम्‍मीदों के मुताबिक ही होगा."

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बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्‍त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त कर उसे दो भागों में बांट दिया. साथ ही जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्ज भी समाप्त कर दिया. उसके बाद केंद्र जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दायक की गई थी. सोमवार यानी 11 दिसंबर को शीर्ष कोर्ट ने इन्ही याचिकाओं पर फैसला सुनाया और घाटी से अनुच्छेद 370 हटाने को वैध बताया. साथ ही जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिए जाने और 30 सितंबर 2024 से तक विधानसभा चुनाव करने का भी आदेश दिया. साथ ही लद्दाख को वर्तमान की तरह केंद्र शासित प्रदेश बने रहने की भी बात कही.

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