Corona कहर फिर टूटा ब्रिटिश पीएम की भारत यात्रा पर, की गई सीमित
बोरिस जॉनसन अपना वादा तो निभा रहे हैं, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच उन्होंने भारत (India) का अपना दौरा सीमित कर दिया है.
highlights
- कोरोना का साया फिर पड़ा बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा पर
- अप्रैल के भारतीय प्रवास को सीमित करने के मिले रहे संकेत
- इसके पहले गणतंत्र दिवस पर भारत दौरा रद्द हुआ था जॉनसन का
लंदन/नई दिल्ली:
कोरोना (Corona) कहर के चलते ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) गणतंत्र दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि भारत नहीं आ सके थे. इसके बाद भारत से द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने के लिए उन्होंने अप्रैल में आने का वादा किया था. पता चला है कि बोरिस जॉनसन अपना वादा तो निभा रहे हैं, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच उन्होंने भारत (India) का अपना दौरा सीमित कर दिया है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री के प्रवक्ता यह जानकारी दी है, जो बोरिस जॉनसन की आगामी यात्रा को लेकर नई दिल्ली के लगातार संपर्क में हैं. उनकी बातों से संकेत मिल रहे हैं कि संक्षिप्त भारत प्रवास के दौरान बोरिस जॉनसन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात करेंगे. बाकी मेल-मुलाकातों के सिलसिले पर कैंची चलाई जा सकती है. हालांकि अभी तक प्रधानमंत्री जॉनसन की यात्रा के कार्यक्रम का विस्तार से विवरण नहीं मिल सका है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री जॉनसन अप्रैल में भारत का दौरा करेंगे. जॉनसन के भारत दौरे का मकसद यूके के लिए और अधिक अवसरों को तलाशना है. साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के इस दौरे का उद्देश्य भारत के साथ मिलकर चीन की चालबाजियों के खिलाफ खड़ा होना है. संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने मजबूत संबंधों को संरक्षित करते हुए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार देश की ब्रेक्सिट रक्षा और विदेश नीति की प्राथमिकताओं को सामने रखेगी. गौरतलब है कि बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत में मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आने वाले थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण उनका यह दौरा रद हो गया था.
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दरअसल, यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद अब बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के लिए नई संभावनाएं तलाश रहे हैं. चीन से यूके का कई मुद्दों पर मतभेद किसी से छिपा नहीं हैं. ऐसे में भारत से साथ खड़े होकर बोरिस जॉनसन एक तीर से दो निशाने साधना चाहते हैं. इधर चीन को घेरने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की चौकड़ी से बने क्वाड संगठन ने भी कमर कस ली है. मौजूदा दौर में यह घटनाक्रम अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसे शीत युद्ध की समाप्ति के बाद सबसे उल्लेखनीय वैश्विक पहल कहा जा रहा है.
यूके और चीन के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं, इनमें हांगकांग, कोविड-19 महामारी और हुआवेई को ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क में सक्रिय भूमिका से वंचित करना प्रमुख हैं. वहीं, क्वीन एलिजाबेथ विमान वाहक पोत की संभावित तैनाती से दक्षिण चीन सागर में सैन्य तनाव बढ़ने की आशंका है. चीन इस क्षेत्र में अपना अधिकार जमाना चाहता है.
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