कश्मीर में फिर बढ़ेगा पाक प्रायोजित आतंकवाद, तालिबान से संबंध

अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद कश्मीर (Kashmir) में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद बढ़ने की आशंका है.

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Nihar Saxena
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अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से जेहादी होंगे खुश.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

दुनिया के दिग्गज विशेषज्ञों ने इस बात की प्रबल आशंका जताई है कि अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियां बढ़ सकती हैं. फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज (एफडीडी) के वरिष्ठ फेलो और लांग वॉर जर्नल के संपादक बिल रोगियो के मुताबिक अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद कश्मीर (Kashmir) में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद बढ़ने की आशंका है. उन्होंने कहा है कि आतंकवाद को प्रायोजित करना पाकिस्तान की विदेश नीति का एक हिस्सा है. उसने इसे एक सबक की तरह इसे सीखा है और ऐसे में तालिबान (Taliban) की जीत जिहादी समूहों को प्रोत्साहित करेगी.

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कश्मीर में अभी से मिल रहे संकेत
सीएनएन न्यूज के मुताबिक इस मामले पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षकों को डर है कि कश्मीर में हिंसक संघर्ष की स्थित और खराब हो सकती है. खासकर अमेरिका जब खुद को अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध से अलग कर रहा है. गौरतलब है कि कश्मीर में रविवार तड़के एक हमले में भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया था. इस ग्रेनेड हमले में कम से कम नौ लोग घायल हो गए थे. इसे देखते हुए आतंकवाद के नए सिरे से फैलने की आशंका को कमतर नहीं आंका जा सकता है.

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आतंक के लिए पाकिस्तान ही जिम्मेदार
गौरतलब है कि भारत ने अपने पड़ोसी देश पर आतंकवादियों को खुली छूट देने का आरोप लगाते हुए दोनों देशों के बीच जारी लंबे संघर्ष के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है. अगस्त 2019 में दोनों देशों के बीच तनाव एक नए सिरे से बढ़ गया जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया. भारत के इस अंदरूनी कदम से पाकिस्तान भड़का हुआ है. वजह यही है कि वह अपनी विदेश नीति की फाइल में कश्मीर को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में देखता है. भारत का कहना है कि वह आतंकवाद से लड़ने के लिए समर्पित है, जिसने 1980 के दशक के अंत में गति पकड़ी थी. सीएनएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषकों ने लंबे समय से दावा किया है कि आतंकवादी समूह पाकिस्तान के समर्थन या स्वीकृति के साथ काम करते हैं. पाकिस्तान पर आतंकी गतिविधियों के समर्थन का आरोप लगता रहा है. 

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टोनी ब्लिंकन जता रहे प्रतिबद्धता
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निर्देश पर अमेरिकी सैनिकों को सितंबर तक अफगानिस्तान से वापस बुलाने का काम शुरू हो गया है. युद्ध प्रभावित देश से अभी तक उसके आधे सैनिक लौट भी आए हैं. हालांकि अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका केवल अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है, देश में अपनी मौजूदी खत्म नहीं कर रहा और वह आर्थिक तथा मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए वहां एक मजबूत राजनयिक उपस्थिति बनाए रखने को प्रतिबद्ध है.

HIGHLIGHTS

  • अफगानिस्तान से सितंबर तक हट जाएगी अमेरिकी सेना
  • तालिबान इसे अपनी जीत मान जेहाद को देगा बढ़ावा
  • पाकिस्तान की विदेश नीति का अंग है कश्मीर में आतंक
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