'लंदन ब्रिज इज़ डाउन' के साथ ब्रिटेन में 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' शुरू
बकिंघम पैलेस ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के जीवित रहते ही उनके निधन पर अंतिम संस्कार का खाका तैयार कर लिया था. इसे 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' और महारानी की मौत को 'लंदन ब्रिज इज़ डाउन' कहा जाना तय हुआ था.
highlights
- स्कॉटलैंड के राष्ट्रीय पशु के नाम पर रखा गया ऑपरेशन यूनिकॉर्न नाम
- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर प्रोटोकॉल का खाका पहले से तैयार
- स्कॉटलैंड से शाही ट्रेन से लंदन लाया जाएगा महारानी का पार्थिव शरीर
लंदन:
स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल में गुरुवार को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के साथ ही ब्रिटिश राजशाही के एक दौर का खात्मा हो गया. 70 सालों तक ब्रिटेन की साम्राज्ञी रहने के बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने दुनिया को अलविदा कह दिया. 96 वर्षीय महारानी (Queen Elizabeth) की स्कॉटलैंड में मौत से उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में थोड़े पेंच ला दिए हैं. अब ब्रिटेन में 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' (Operation Unicorn) शुरू हो चुका है. इसके तहत महारानी को दफनाएं जाने के पहले दस दिनों तक कैसी क्या प्रक्रिया रहेगी, इस पर अमल की शुरुआत हो चुकी है. इसके पहले चरण में ब्रिटिश राजशाही के सभी सदस्य स्कॉटलैंड (Scotland) पहुंच चुके हैं. 32 साल की उम्र में साम्राज्ञी बनने वाली महारानी के निधन पर अंतिम संस्कार का खाका पहले ही तैयार कर लिया गया था, जिसे 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' नाम दिया गया था. इसके तहत महारानी की मौत के दिन को 'डी-डे' और उसके बाद हर गुजरते दिन को 'डी+1' और 'डी +2' के रूप में निरूपित किया जाएगा. गौरतलब है कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1952 में किंग जॉर्ज षष्ठम की मौत के बाद ब्रिटिश राजशाही का ताज संभाला था.
कैसे अमल में लाया जाएगा 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न'
- बकिंघम पैलेस ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के जीवित रहते ही उनके निधन पर अंतिम संस्कार का खाका तैयार कर लिया था. इसे 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' और महारानी की मौत को 'लंदन ब्रिज इज़ डाउन' कहा जाना तय हुआ था. हालांकि महारानी की स्कॉटलैंड में मौत ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को थोड़ा जटिल बना दिया है.
- गौरतलब है कि यूनिकॉर्न स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय पशु है. ऐसे में लंदन के बजाय स्कॉटलैंड में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत को 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' नाम दिया गया. शाही पोशाकों समेत राजशाही के तमाम प्रतीकों पर यूनिकॉर्न अंकित रहता है. साथ में लॉयन ऑफ इंग्लैंड भी.
- पहले से तय नियमों के तहत महारानी के मौत के दिन को 'डी-डे' और उसके बाद हर गुजरते दिन को 'डी+1' और 'डी +2' के रूप में निरूपित किया जाएगा.
- गुरुवार को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत की औपचारिक घोषणा से पहले ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन यानी बीबीसी के प्रेजेंटर प्रोटोकॉल के तहत काली पोशाक पहने नजर आए. उन्होंने काले सूट औऱ काली टाई पहन महारानी के निधन की सूचना दी. बीबीसी ने राष्ट्रीय गान 'गॉड सेव द क्वीन' के प्रसारण के बीच महारानी एलिजाबेथ के शाही पोट्रेट को स्क्रीन पर दिखाया. इसके साथ ही शाही महल बकिंघम पैलेस के ऊपर झंडे को भी आधा झुका दिया गया.
- ऑपरेशन यूनिकॉर्न के तहत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का पार्थिव शरीर उनकी मौत के एक हफ्ते के भीतर स्कॉटलैंड से लंदन लाया जाएगा. इसके पहले उनका पार्थिव शरीर बाल्मोरल कैसल से स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग स्थित होलीरूडहाउस में ले जाकर रखा जाएगा. फिर रिसेप्शन सर्विस के लिए रॉयल माइल, सेंट्रल एवेन्यू से सैंट गाइल्स कैथेड्रिल में रखा जाएगा.
- इसके बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की पार्थिव देह एडिनबर्ग के वेवर्ली स्टेशन से शाही ट्रेन के जरिये लंदन लाई जाएगी. लंदन में नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री लिज ट्रस उनके पार्थिव शरीर की आगवानी करेंगी, जहां से उसे बकिंघम पैलेस लाया जाएगा.
- पीएम लिज ट्रस शाही सम्मान के तहत बंदूकों से सलामी का आयोजन करेंगी. इसके साथ ही अगले सम्राट किंग चार्ल्स का राष्ट्र के नाम संबोधन होगा.
- महारानी की मौत के दसवें दिन वेस्टमिंस्टर एब्बे में राष्ट्रीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. विंडसर कैसल के सेंट जॉर्ज चैपल में कमिटल सर्विस का आयोजन होगा. फिर किंग जॉर्ज षष्ठम मेमोरियल चैपल में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पार्थिव शरीर को दफना दिया जाएगा.
यह भी पढ़ेंः महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 साल की उम्र में निधन, शोक में डूबा ब्रिटेन
ऑपरेशन 'लंदन ब्रिज' के तहत यह रही मौत की घोषणा की प्रक्रिया
ऑपरेशन 'लंदन ब्रिज' के तहत महारानी के निजी सचिव ने प्रधानमंत्री लिज ट्रस को प्रोटोकॉल के तहत 'लंदन ब्रिज इज़ डाउन' कह कर महारानी के निधन की सूचना दी. इसके बाद प्रधानमंत्री ने औपचारिक रूप से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन की घोषणा की. इसके बाद महारानी के निधन का समाचार 15 देशों की सरकारों तक पहुंचाया, जिनकी वह राष्ट्राध्यक्ष भी थीं. फिर राष्ट्रकुल के 30 सदस्य देशों तक यह खबर प्रेषित की गई.
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