अफगानिस्तान: काबुल में 2 अलग-अलग स्कूलों में विस्फोट, 20 छात्रों की मौत
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल मंगलवार को 2 अलग-अलग बम धमाकों से दहल उठा. अफगान मीडिया के मुताबिक, पहला धमाका काला-ए-नौ के एक शैक्षणिक केंद्र मुमताज ट्रेनिंग सेंटर के सामने हुआ. वहीं, दूसरा धमाका अब्दुल रहीम शहीद स्कूल के सामने हुआ, जब छात्र जा रहे थे.
highlights
- दो स्कूलों को निशाना बनाकर किया गया हमला
- शिया हजारा बाहुल्य इलाकों को बनाया गया निशाना
- किसी आतंकी समूह ने नहीं ली हमले की जिम्मेदारी
काबुल:
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल मंगलवार को 2 अलग-अलग बम धमाकों से दहल उठा. अफगान मीडिया के मुताबिक, पहला धमाका काला-ए-नौ के एक शैक्षणिक केंद्र मुमताज ट्रेनिंग सेंटर के सामने हुआ. वहीं, दूसरा धमाका अब्दुल रहीम शहीद स्कूल के सामने हुआ, जब छात्र जा रहे थे. एक स्थानीय मीडिया कम से कम 20 लोगों के मारे जाने की बात कही है, लेकिन उस संख्या की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है. काबुल में तालिबान के पुलिस प्रवक्ता खालिद जादरान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि हमले में "छह लोगों की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए।"
अफगान मीडिया के मुताबिक मुमताज ट्रेनिंग सेंटर में एक ग्रेनेड विस्फोट किया गया, जिसमें पांच लोग घायल हो गए. अफगान गृह मंत्रालय ने भी अब्दुल रहीम शहीद हाई स्कूल के पास विस्फोट की पुष्टि की है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बच्चे स्कूल से बाहर जा रहे थे, तभी ब्लास्ट हुआ. जानकारी के मुताबिक अभी तक किसी भी आतंकवादी गुट ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है. विस्फोटों ने काबुल के पश्चिमी दश्त-ए-बारची इलाके में मुमताज एजुकेशन सेंटर और अब्दुल रहीम शाहिद हाई स्कूल को निशाना बनाया. पहले विस्फोट के समय बच्चे स्कूल छोड़ रहे थे. पहले धमाके के तुरंत बाद दूसरा धमाका हुआ. प्रत्यक्षदर्शियों ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि एक आत्मघाती हमलावर ने स्कूल परिसर के अंदर खुद को उड़ा लिया, गौरतलब है कि इस स्कूल में 1,000 छात्र पढ़ते हैं. इस बीच अधिकारियों ने कहा कि घायलों की संख्या बढ़ सकती है.
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शिया अल्पसंख्यकों को बनाया गया निशाना
अफगान न्यूज चैनल टोलो न्यूज ने कहा कि गृह मंत्रालय ने स्कूल में हुए विस्फोटों की पुष्टि की है और जांच शुरू कर दी है. हमले के पीड़ितों को अस्पताल ले जाया गया है. इसके साथ ही तालिबान ने इलाके की घेराबंदी शुरू कर दी है. इसके साथ ही पत्रकारों के फोटो लेने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. किसी ने अभी तक हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन पश्चिमी काबुल पहले तथाकथित "इस्लामिक स्टेट" (आईएस) का लक्ष्य रहा है, क्योंकि इसकी बड़ी संख्या में शिया हजारा निवास करते हैं.
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