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Nepal Crisis: नेपाल में चल रहे राजनीतिक उठा-पटक और Gen Z के हिंसक प्रदर्शन ने देश के हालातों को नाजुक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है. अब देश में नेतृत्व को लेकर भी जमकर विरोध हो रहा है. इस बीच विरोध प्रदर्शनकारियों ने देश के नए नेतृत्व को लेकर भी नई जंग छेड़ दी है. हर दिन इस जंग में कप्तान यानी मुखिया को लेकर नए नाम सामने आ रहे हैं. पहले बालेंद्र शाह फिर सुशीला कर्की और अब नया नाम कुलमन घिसिंग का बताया जा रहा है. जी हां कुलमन के नाम को लेकर कहा जा रहा है कि जेन Z ने बातचीत के दौरान उनके नाम को आगे बढ़ाया है.
सामने आई प्रेस रिलीज
देश में अंतरिम सरकार के गठन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं, और इस दौड़ में इंजीनियर कुलमान घीसिंग सबसे आगे निकलते दिखाई दे रहे हैं. Gen Z समूह की ओर से जारी एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में कुलमान घीसिंग को अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बताया गया है. प्रेस नोट में लिखा गया है कि “पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की संविधान के अनुसार अयोग्य हैं और उनकी उम्र 70 से अधिक है, जिससे वे Gen Z की भावना और प्रतिनिधित्व का हिस्सा नहीं बन सकतीं. ”
कौन है कुलमान घीसिंग
कुलमान घीसिंग को नेपाल में लोडशेडिंग खत्म करने और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के लिए जाना जाता है. एक ईमानदार और टेक्नोक्रेटिक छवि के कारण वह युवाओं में बेहद लोकप्रिय हैं. Gen Z आंदोलन ने उन्हें “देशभक्त और सर्वमान्य नेतृत्वकर्ता” बताते हुए अंतरिम सरकार के लिए अपना समर्थन दिया है.
सेना और Gen Z के बीच अहम बैठक
इस वक्त नेपाल की सेना और Gen Z के प्रतिनिधियों के बीच महत्वपूर्ण बातचीत सेना मुख्यालय में चल रही है. जानकारी के मुताबिक, Gen Z के सात सदस्य बैठक में शामिल हैं. दूसरी ओर, प्रदर्शनकारियों में फूट पड़ने की भी खबरें हैं कुछ युवा प्रदर्शनकारी बातचीत की पारदर्शिता को लेकर नाराज हैं और राष्ट्रपति भवन में वार्ता की मांग कर रहे हैं.
अन्य नामों पर क्यों नहीं बनी सहमति?
Gen Z आंदोलन की ओर से पहले सुशीला कार्की का नाम सामने आया था, लेकिन उनकी उम्र और संवैधानिक बाधाओं के चलते विरोध हुआ. वहीं, बालेन्द्र शाह ने स्वयं रुचि नहीं दिखाई और हर्क साम्पाङ के नेतृत्व को लेकर एकमत नहीं बन सका. ऐसे में कुलमान घीसिंग का नाम सभी वर्गों में स्वीकार्य माना जा रहा है.
आर्मी की भूमिका और अगला कदम
सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल से टेलीफोन पर बातचीत कर मौजूदा स्थिति की जानकारी दी है. सेना का प्रयास है कि सभी पक्षों को साथ लेकर एक स्थायी और संवैधानिक समाधान तक पहुंचा जाए.
नेपाल की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है. कुलमान घीसिंग का नाम अगर सर्वसम्मति से स्वीकार होता है, तो यह देश को न केवल राजनीतिक स्थिरता देगा, बल्कि नई पीढ़ी के नेतृत्व की भी शुरुआत हो सकती है.
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