नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री चुनना आसान नहीं, लगातार सामने आ रहे नए नाम

नेपाल का अगला अंतरिम प्रधानमंत्री कौन होगा, यह अब नेपाल के लिए सबसे बड़ा सवाल बन गया है, जेन-जी युवाओं ने कई नाम सुझाए लेकिन वे पीएम के नाम पर आपस में सहमत नहीं हो पा रहे हैं.

नेपाल का अगला अंतरिम प्रधानमंत्री कौन होगा, यह अब नेपाल के लिए सबसे बड़ा सवाल बन गया है, जेन-जी युवाओं ने कई नाम सुझाए लेकिन वे पीएम के नाम पर आपस में सहमत नहीं हो पा रहे हैं.

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Ravi Prashant
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कौन होगा नेपाल का रखवाला? Photograph: (NN)

नेपाल इस समय गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ भड़की जेन-जेड अगुवाई वाली उग्र विरोध लहर ने अब तक 31 लोगों की जान ले ली है और करीब 1,400 लोग घायल हुए हैं. हालात इतने बिगड़े कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंतरिम सरकार का नेतृत्व कौन करेगा?

पहला नाम एक्टिविस्ट सुशीला कार्की का

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नेपाली मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने शुरुआत में नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश और जानी-मानी एंटी-करप्शन एक्टिविस्ट सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए आगे बढ़ाया. सेना से बातचीत भी शुरू होने की खबरें आईं.  कार्की की ईमानदार और बेखौफ छवि को देखते हुए कई प्रदर्शनकारियों ने खुले समर्थन का ऐलान किया. उनका कहना था कि देश को फिलहाल ऐसे ही नेतृत्व की जरूरत है.

फिर सामने नाम आया कुलमान घिसिङ का

हालांकि, 24 घंटे के भीतर ही प्रदर्शनकारियों के एक धड़े ने आपत्ति जताई और कुलमान घिसिङ का नाम आगे रखा. घिसिंग वही इंजीनियर हैं जिन्हें नेपाल की बिजली संकट सुलझाने का श्रेय दिया जाता है. उनका कहना था कि संविधान से जुड़े प्रावधानों के चलते एक रिटायर्ड जज को सरकार चलाने का पद नहीं दिया जा सकता. साथ ही, सुशीला कार्की की उम्र को लेकर भी सवाल उठे. इस धड़े ने घिसिंग को “देशभक्त” और “सबका पसंदीदा” करार दिया, जो सेना और जनता दोनों के बीच पुल का काम कर सकते हैं.

दो गुटों में बट गए प्रदर्शनकारियों 

इस असहमति के चलते बुधवार को काठमांडू में प्रदर्शनकारियों के दो गुटों के बीच झड़प तक हो गई. यानी अब टकराव सिर्फ सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच नहीं, बल्कि आंदोलनकारियों के भीतर भी दिखने लगा है. संवैधानिक अड़चन भी बड़ी चुनौती बनकर सामने है. 2015 में लागू हुए नेपाल के संविधान में यह साफ लिखा है कि प्रधानमंत्री संसद से चुना जाएगा या राष्ट्रपति संसदीय प्रक्रिया के जरिए नियुक्त करेंगे. ऐसे में सीधे किसी गैर-सांसद को अंतरिम पीएम बनाना आसान नहीं है. हालांकि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संकेत दिए हैं कि वह “संवैधानिक ढांचे के भीतर रहते हुए” समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने सभी पक्षों से संयम बरतने और शांतिपूर्वक आगे बढ़ने की अपील की.

इस बीच, काठमांडू के मेयर और जेन-जेड के बीच खासे लोकप्रिय बालेंद्र शाह (बालेन शाह) का नाम भी चर्चा में आया. लेकिन उन्होंने खुद पद संभालने से इनकार कर दिया और कार्की का समर्थन किया. शाह ने कहा कि फिलहाल देश को सिर्फ चुनाव कराने वाली अंतरिम सरकार चाहिए, जिससे नई संसद और नेतृत्व चुना जा सके.

हर्का साम्पांग का नाम आया सामने

एक छोटे धड़े ने धरान के मेयर हर्का साम्पांग का नाम भी सुझाया, लेकिन जल्दी ही उनकी उम्मीदवारी यह कहकर खारिज कर दी गई कि वह “काबिल” नहीं हैं. हालांकि नामों को लेकर असहमति है, लेकिन एक बात साफ है. जेन-जी प्रदर्शनकारी पुराने राजनीतिक नेतृत्व को अब बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं. उनका कहना है कि वे संविधान को पलटना नहीं चाहते, बल्कि केवल जरूरी बदलाव चाहते हैं ताकि नया नेतृत्व खड़ा किया जा सके.

फिलहाल सेना और पुलिस काठमांडू की सड़कों पर गश्त कर रही है. संसद भवन और ऐतिहासिक सिंह दरबार परिसर पर भी भीड़ ने हमला कर आगजनी की थी. देश में फिलहाल एक अस्थिर शांति है, लेकिन सवाल वही है. नेपाल का अंतरिम प्रधानमंत्री कौन होगा?

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