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आखिर क्या होता है नेपो किड्स? Photograph: (SM)
नेपाल में हालिया हिंसक प्रदर्शन सिर्फ भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं रहे, बल्कि युवाओं, खासकर जेन-ज़ी ने खुले तौर पर “नेपो किड्स” का मुद्दा उठाकर राजनीति की एक और सच्चाई उजागर की. वहीं, सोशल मीडिया पर भी 'नेपो किड्स' को लेकर ट्रेंड देखने को मिला. दिलचस्प बात यह है कि यही शब्द भारत में भी खूब सुर्खियां बटोरता है.
आखिर कहां से आया ये वर्ड?
“नेपो किड्स” शब्द “नेपोटिज़्म” से निकला है, जिसका अर्थ है. परिवार या रिश्तेदारों को तरजीह देना. इसकी जड़ें यूरोप की चर्च राजनीति से जुड़ी मानी जाती हैं, जहां बड़े पादरी अपने भतीजे-भांजों को ऊंचे पदों पर बैठाया करते थे. समय के साथ यह प्रचलन राजनीति, बिजनेस और फिल्म इंडस्ट्री तक फैल गया.
भारत में अहम है नेपो किड्स की भूमिका
भारत में राजनीति का इतिहास परिवारवाद से भरा पड़ा है. नेहरू-गांधी परिवार से लेकर करुणानिधि, मुलायम सिंह यादव और लालू यादव के परिवार तक. हर जगह पीढ़ी दर पीढ़ी नेताओं की एंट्री होती रही है. नई पीढ़ी में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, आदित्य ठाकरे और चिराग पासवान जैसे नाम इसी बहस के केंद्र में रहते हैं.
टारगेट में आ जाते हैं नेपो किड्स
आलोचकों का मानना है कि परिवारवाद लोकतंत्र को कमजोर करता है, क्योंकि इससे योग्य और मेहनती नए चेहरे पीछे रह जाते हैं. जनता का भरोसा धीरे-धीरे कामकाज पर नहीं, बल्कि सिर्फ नाम और वंश पर टिकने लगता है. यही कारण है कि जब भी बदलाव की मांग उठती है, “नेपो किड्स” सबसे पहले निशाने पर आ जाते हैं, जैसे आपने नेपाल में देखा.
हर जगह दिखता है नेपो किड्स का दबदबा
असलियत यह है कि यह समस्या सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं. फिल्म इंडस्ट्री और बिज़नेस जगत में भी “नेपो किड्स” का दबदबा साफ दिखता है. कई बार आपने फिल्मी दुनिया में देखा है कि कई बाहर से आए आर्टिस्ट ऐसे आरोप लगाते हैं.
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