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पाकिस्तान अफगानिस्तान कॉन्फ्लिक्ट Photograph: (X)
इस्तांबुल में हुई अफगानिस्तान-पाकिस्तान शांति वार्ता एक बार फिर बेनतीजा खत्म हो गई है. अफगान तालिबान सरकार ने इस गतिरोध के लिए सीधे पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि पाकिस्तान ने वार्ता में गैर-जिम्मेदाराना और असहयोगी रवैया अपनाया और सारी जिम्मेदारी अफगान सरकार पर डालने की कोशिश की.
पाकिस्तान ने नहीं दिखाई गंभीरता
मुजाहिद ने बताया कि अफगान प्रतिनिधिमंडल 6 और 7 नवंबर को सकारात्मक भावना और पूर्ण अधिकार के साथ तुर्की व कतर की मध्यस्थता में बातचीत में शामिल हुआ था. लेकिन पाकिस्तान ने न तो गंभीरता दिखाई, न किसी ठोस समाधान की ओर बढ़ा. बयान में कहा गया कि पाकिस्तान अपनी सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी अफगानिस्तान पर डालना चाहता है, जबकि खुद कोई जवाबदेही नहीं निभाना चाहता.
अफगानिस्तान मजबूती से देगा जवाब
तालिबान सरकार ने अपने बयान में दोहराया कि अफगानिस्तान किसी भी देश को अपनी जमीन किसी अन्य राष्ट्र के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने देगा और न ही किसी विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त करेगा. अफगान नेतृत्व ने चेतावनी दी कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा इस्लामी और राष्ट्रीय कर्तव्य है, और किसी भी आक्रमण का जवाब मजबूती से दिया जाएगा.
पाक रक्षा मंत्री ने क्या कहा?
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी माना कि वार्ता का तीसरा दौर अनिश्चित और निष्फल रहा है और चौथे दौर की कोई योजना नहीं बनी है. उधर, अफगान जनजातीय मामलों के मंत्री नूरुल्लाह नूरी ने इस्लामाबाद को चेतावनी दी कि अफगानों के सब्र की परीक्षा न ली जाए. अगर हालात बिगड़े तो देश का हर नौजवान और बुजुर्ग लड़ने को तैयार है.
ये कोई नया विवाद नहीं है
मुजाहिद ने आगे कहा कि पाकिस्तान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के बीच का विवाद नया नहीं है, यह 2002 से चला आ रहा है. इस्लामिक अमीरात ने दोनों पक्षों में सुलह कराने की कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तानी सेना के कुछ धड़ों ने इस प्रक्रिया को नाकाम कर दिया.
इस्तांबुल की बातचीत का उद्देश्य सीमा तनाव कम करना था, मगर इसका नतीजा उल्टा निकला. अब अफगानिस्तान को आशंका है कि पाकिस्तान फिर से सीमापार हमले या ड्रोन हमलों की तैयारी कर रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव खतरनाक मोड़ पर पहुंच सकता है.
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