Israel Iran War: मिडिल ईस्ट एक बार फिर युद्ध की आग में झुलस रहा है. ईरान और इजरायल के बीच सीधा सैन्य संघर्ष इस हफ्ते चरम पर पहुंच गया, जहां मिसाइलों और ड्रोन हमलों की बारिश ने सैकड़ों जिंदगियों को लील लिया और पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी.
ईरान में तबाही का मंजर
ईरान ने संयुक्त राष्ट्र को बताया कि इजरायली हमलों में अब तक 78 लोग मारे गए हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि ईरान के कई शीर्ष सैन्य और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए. इनमें रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी और ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी जैसे बड़े नाम शामिल हैं.
ईरानी मीडिया के अनुसार, इज़राइली हमलों में 60 और लोग मारे गए, जिनमें 20 बच्चे थे. घायल हुए 320 से ज्यादा लोगों में अधिकतर आम नागरिक हैं. राजधानी तेहरान, इस्फहान और तबरेज़ जैसे प्रमुख शहरों में बमबारी ने आम जनजीवन को तहस-नहस कर दिया. तेहरान का मेहराबाद एयरपोर्ट भी आग की चपेट में आया.
नतांज़ न्यूक्लियर फैसिलिटी को भी निशाना बनाया गया, जिससे वहां बिजली आपूर्ति प्रणाली बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई. इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की है कि संयंत्र के अंदर रेडिएशन और रसायनिक रिसाव हुआ है, हालांकि बाहरी स्तर पर स्थिति नियंत्रण में है.
इजरायल पर ईरानी जवाबी हमला
ईरान ने भी जवाबी हमलों में कोई कसर नहीं छोड़ी. इजरायली रक्षा मंत्री इज़राइल कात्ज़ ने सख्त चेतावनी दी कि “अगर तेहरान ने मिसाइल हमले जारी रखे, तो उसे जला कर राख कर देंगे.” वहीं ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और जो भी देश इज़राइल का साथ देगा चाहे अमेरिका हो या ब्रिटेन उनके क्षेत्रीय ठिकानों और जहाजों को निशाना बनाया जाएगा.
अब तक इज़राइल में कम से कम 3 नागरिकों की मौत की पुष्टि हुई है. रिशोन लेजिओन में एक ईरानी मिसाइल से दो लोगों की जान गई और 19 लोग घायल हुए. इसके अलावा रमात गण और तेल अवीव के आसपास के क्षेत्रों में भी जान-माल का नुकसान हुआ. वेस्ट बैंक में तीन फिलिस्तीनी बच्चों को भी मिसाइल हमले में चोटें आईं, जो माना जा रहा है कि यमन से ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों ने दागी थी.
दुनिया की सांसें अटकी
इस भयानक संघर्ष ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय सीजयफायर की अपील कर रहा है, लेकिन ज़मीनी हालात बेहद खतरनाक दिशा में जा रहे हैं. जहां एक तरफ जानें जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.
क्या आगे और बड़ा विस्फोट होगा?
यह युद्ध सिर्फ ईरान और इज़राइल के बीच नहीं रह गया है. यह पूरे मध्य-पूर्व को अपने आगोश में ले सकता है. सवाल यह है कि क्या कूटनीति इस ज्वालामुखी को शांत कर पाएगी, या फिर दुनिया एक और विनाशकारी युद्ध की ओर बढ़ रही है?
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