Trump Tariff: डोनाल्ड ट्रंप को करारा जवाब देने को तैयार भारत, 50 फीसदी टैरिफ पर होगा पलटवार

Trump Tariff: अमेरिका की ओर से भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के बाद अब भारत चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने की तैयारी में जुट गया है.

Trump Tariff: अमेरिका की ओर से भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के बाद अब भारत चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने की तैयारी में जुट गया है.

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Mohit Saxena
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trump and modi (social media)

अमेरिका की ओर से भारतीय स्टील, एल्युमिनियम और उससे जुड़े उत्पादों पर 50% तक का भारी आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने के बाद भारत भी करारा जवाब देने की तैयारी में जुट गया है. भारत इस पर पलटवार करने की तैयारी में लगा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों  पर उतने ही अनुपात में टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है.

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किस तरह से शुरू हुआ विवाद 

यह विवाद फरवरी में शुरू हुआ था. ट्रंप प्रशासन ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर 25% का टैरिफ लगाया है. इसके बाद बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक किया. इससे करीब 7.6 अरब डॉलर के  भारतीय निर्यात पर असर पड़ने वाला है. भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इस तरह की दलील  दी कि अमेरिका की यह कार्रवाई ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर लगाई सेफगार्ड ड्यूटी की तरह है. यह WTO के नियमों के पूरी तरह से खिलाफ है. अमेरिका ने इस मामले में चर्चा से मना कर दिया. इसके  बाद भारत ने WTO नियमों के तहत जवाबी कार्रवाई की कानूनी तैयारी हो शुरू कर दी. 

किन सामानों पर लग सकता है टैरिफ

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जवाबी टैरिफ अमेरिकी वस्तुओं के एक सीमित सेट पर होगा. इन वस्तुओं का चयन इस तरह से होगा कि टैरिफ से होने वाला राजस्व, अमेरिका के कदम से भारतीय निर्यातकों होने वाला नुकसान बराबर होगा. अधिकारियों के अनुसार, अमेरिका एक ओर द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय आर्थिक हितों के खिलाफ एकतरफा कदम उठा रहा है. इसका जवाब देना भारत का अधिकार है.

अरबों डॉलर का व्यापार दांव पर लगाया 

भारत को अमेरिका हर वर्ष 45 अरब डॉलर से ज्यादा का सामान बेचता है. वहीं भारत से अमेरिका   को होने वाला निर्यात हालिया टैरिफ से पहले 86 अरब डॉलर तक का था. टैरिफ युद्ध के बढ़ने से व्यापार घाटा बदल गया है. द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों पर असर पड़ा है. फरवरी में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने की लक्ष्य रखा. कृषि और संवेदनशील क्षेत्रों में अमेरिकी मांग को भारत ने ठुकरा दिया. इसके कारण वार्ता रुक गई.

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