भारत के लिए जिया ने 'जिया' ही नहीं, कई विरोध और आरोपों से भरा रहा इनका हिंदुस्तान से नाता

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और BNP प्रमुख खालिदा जिया का मंगलवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. 80 वर्षीय जिया हृदय, फेफड़ों के संक्रमण और निमोनिया से पीड़ित थीं. वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और दशकों तक राजनीति में प्रभावशाली रहीं.

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और BNP प्रमुख खालिदा जिया का मंगलवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. 80 वर्षीय जिया हृदय, फेफड़ों के संक्रमण और निमोनिया से पीड़ित थीं. वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं और दशकों तक राजनीति में प्रभावशाली रहीं.

author-image
Ravi Prashant
New Update
former prime minister khaleda zia

पूर्व पीएम खालिदा जिया Photograph: (X)


बेगम खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. उन्होंने दो अलग-अलग कार्यकालों में देश का नेतृत्व किया, पहला 1991 से 1996 तक और दूसरा 2001 से 2006 तक. वह Bangladesh Nationalist Party की अध्यक्ष भी रहीं. 1991 में जनमत संग्रह के जरिए राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त कर संसदीय व्यवस्था लागू कराने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है, जिससे प्रशासनिक शक्ति प्रधानमंत्री के पास केंद्रित हुई.

Advertisment

दो महिलाओं का राजनीतिक वर्चस्व

पिछले तीन दशकों तक बांग्लादेश की राजनीति मुख्य रूप से दो महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती रही. एक ओर खालिदा जिया थीं, तो दूसरी ओर अवामी लीग प्रमुख Sheikh Hasina. शेख हसीना पांच बार प्रधानमंत्री रहीं, लेकिन अगस्त 2024 में नौकरियों में आरक्षण को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद उनकी सरकार गिर गई और वह भारत में निर्वासन में चली गईं.

हसीना से बिल्कुल अलग थी जिया

भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर खालिदा जिया का दृष्टिकोण शेख हसीना से काफी अलग रहा. जहां हसीना को भारत के प्रति मैत्रीपूर्ण माना जाता था, वहीं जिया ने अपने शुरुआती वर्षों में संप्रभुता को प्राथमिकता देते हुए सतर्क और कई बार टकराव वाला रुख अपनाया. उन्होंने भारत को पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बांग्लादेश के रास्ते ट्रांजिट देने का विरोध किया और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ बताया.

ट्रांजिट, संधि और जल विवाद

प्रधानमंत्री रहते हुए खालिदा जिया ने 1972 की भारत-बांग्लादेश मैत्री संधि के नवीनीकरण का भी विरोध किया. उन्होंने फरक्का बैराज को लेकर भारत की आलोचना की और आरोप लगाया कि इससे बांग्लादेश को गंगा के जल से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने ट्रांजिट अनुमति को तीस्ता जल समझौते जैसे लंबित मुद्दों से जोड़ने की वकालत की, जिससे इसे एक कूटनीतिक दबाव के रूप में देखा गया.

चीन से गहरी दोस्ती और भारत को किया था साइडलाइन

2002 में खालिदा जिया सरकार ने चीन के साथ बड़े रक्षा समझौते किए, जिससे बीजिंग बांग्लादेश का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया. इस कदम को भारत में रणनीतिक चुनौती के रूप में देखा गया. बाद में भारत ने उनकी सरकार पर पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय उग्रवादी समूहों को शरण देने के आरोप भी लगाए.

समय के साथ बदला रुख और कूटनीतिक नरमी

हालांकि 2012 के बाद खालिदा जिया के भारत के प्रति रुख में कुछ नरमी देखने को मिली. दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का आश्वासन दिया. 2015 में Narendra Modi ने ढाका यात्रा के दौरान उनसे मुलाकात की, जिसे दोनों देशों के रिश्तों में संतुलन का संकेत माना गया.

निधन पर पीएम मोदी ने क्या कहा? 

खालिदा जिया के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में उनके योगदान और भारत-बांग्लादेश संबंधों में उनकी भूमिका को याद किया जाएगा. उनके निधन के साथ ही दक्षिण एशियाई राजनीति की एक निर्णायक और विवादास्पद आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई.

ये भी पढ़ें- खालिदा जिया और शेख हसीना के बीच क्या है दुश्मनी की वजह, जो बन गईं बांग्लादेश की राजनीति का प्रमुख चेहरा

Khaleda Zia
Advertisment