नेपाल की 25 से ज्यादा जेलों से 15,000 कैदी फरार, एक बंदी ने डर के मारे खुद किया सरेंडर

नेपाल में इन दिनों भारी उथल-पुथल चल रही है. भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध से नाराज जेन-जी प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार से हिंसक आंदोलन शुरू कर दिया, जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए.

नेपाल में इन दिनों भारी उथल-पुथल चल रही है. भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध से नाराज जेन-जी प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार से हिंसक आंदोलन शुरू कर दिया, जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए.

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Ravi Prashant
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नेपाल प्रोटेस्ट Photograph: (SM)

नेपाल भारी उथल-पुथल से गुजर रहा है. भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन के खिलाफ भड़के जेन-जी प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार से हिंसक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद हालात काबू से बाहर हो गए. आंदोलनकारियों ने न केवल सरकारी दफ्तरों और पुलिस चौकियों को निशाना बनाया बल्कि देशभर की जेलों पर भी हमला कर दिया. नतीजा यह हुआ कि 25 से ज्यादा जेलों से करीब 15,000 कैदी फरार हो गए. हालात बिगड़ने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा.

भागा हुआ एक कैदी वापस आया

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इस अफरातफरी के बीच कैलाली प्रांत की राजधानी धनगढी से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई. यहां की जेल से 692 कैदी भाग निकले थे, जबकि कुल 697 कैदी बंद थे. लेकिन हैरानी की बात यह रही कि एक कैदी अगले ही दिन खुद जेल लौट आया. बताया गया कि कैदी ने डर के चलते सरेंडर करने का फैसला लिया. उसका मानना था कि अगर पुलिस बाद में पकड़ लेती तो उस पर जेलब्रेक का नया केस दर्ज होता और उसकी सजा और बढ़ जाती.

परिवार के साथ आया कैदी

परिवार के दो सदस्यों के साथ वह जेल पहुंचा और गेट बंद होने के बावजूद आवाज देकर सुरक्षा कर्मियों को बुलाया. बाद में अधिकारियों ने उसे दोबारा जेल में बंद कर दिया.यह घटना साफ दिखाती है कि देशभर में छाए अराजक माहौल के बीच कैदियों के बीच भी दहशत और असमंजस है. कई जेलों से हजारों कैदी तो निकल भागे हैं, लेकिन कुछ कैदी अपनी सजा बढ़ने के डर से लौटने का फैसला कर रहे हैं.

8 कैदियों की मौत

अब तक हुई झड़पों में कम से कम आठ कैदियों की मौत हो गई है. काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, बैंकु Juvenile Reform Centre से 122, बैंकु डिस्ट्रिक्ट जेल से 436, काठमांडू की सेंट्रल जेल सुंदरहरा से 3,300, ललितपुर की नक्खु जेल से 1,400 और दिलीबाजार जेल से 1,100 कैदी फरार हुए हैं. नेपाल की सेना ने गुरुवार तक करीब 200 फरार कैदियों को दोबारा पकड़ने का दावा किया है. लेकिन यह संख्या हजारों की तुलना में बेहद कम है. सेना और पुलिस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती देशभर में शांति बहाल करने और भागे हुए कैदियों को पकड़ने की है.

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