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H1B Visa Fees:अमेरिका के 19 राज्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के खिलाफ अदालत का रुख किया है. इन राज्यों ने H-1B वीजा के नए आवेदनों पर 1 लाख डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) की भारी फीस लगाने के फैसले को चुनौती दी है. राज्यों का कहना है कि यह नीति न केवल गैर-कानूनी है, बल्कि इससे अस्पतालों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों जैसी जरूरी सार्वजनिक सेवाओं पर बुरा असर पड़ेगा.
यह मुकदमा अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की उस पॉलिसी के खिलाफ है, जिसके तहत हाई-स्किल्ड विदेशी कर्मचारियों को रखने वाले एम्प्लॉयर्स पर अचानक बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ डाल दिया गया है. H-1B वीजा का इस्तेमाल अमेरिका में बड़े पैमाने पर डॉक्टरों, प्रोफेसरों, शिक्षकों और टेक्निकल एक्सपर्ट्स को काम पर रखने के लिए किया जाता है.
19 US state attorneys general sue Trump admin over USD 100,000 H-1B visa fee
— ANI Digital (@ani_digital) December 14, 2025
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अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा का बयान
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा, जो इस मुकदमे की अगुवाई कर रहे हैं, ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के पास इतनी बड़ी फीस लगाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर से आने वाला स्किल्ड टैलेंट कैलिफोर्निया और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है. नई फीस से पब्लिक एम्प्लॉयर्स पर अनावश्यक दबाव पड़ेगा और पहले से मौजूद कर्मचारियों की कमी और बढ़ जाएगी.
ट्रंप शासन ने बढ़ाई थी फीस
आपको बता दें कि 19 सितंबर 2025 को राष्ट्रपति ट्रंप ने एक घोषणा जारी कर यह फीस लागू करने का आदेश दिया था. इसके बाद 21 सितंबर के बाद दाखिल होने वाले H-1B आवेदनों पर यह नियम लागू कर दिया गया. अभी तक H-1B के लिए एम्प्लॉयर्स को कुल मिलाकर करीब 960 से 7,595 डॉलर तक फीस देनी होती थी, लेकिन नई नीति से यह रकम कई गुना बढ़ गई.
राज्यों का कहना है कि यह फैसला अमेरिकी संविधान और एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसीजर एक्ट का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसमें कांग्रेस की मंजूरी और जरूरी नियम बनाने की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया है.
शिक्षा और हेल्थकेयर पर पड़ेगा असर
इस नीति का सबसे ज्यादा असर शिक्षा और हेल्थकेयर सेक्टर पर पड़ सकता है. आंकड़ों के मुताबिक, 2024-25 में अमेरिका के 74% स्कूल जिलों को शिक्षकों की भारी कमी का सामना करना पड़ा. वहीं, अनुमान है कि 2036 तक अमेरिका में करीब 86,000 डॉक्टरों की कमी हो जाएगी. ऐसे में राज्यों का मानना है कि H-1B फीस बढ़ाना देश के लिए नुकसानदेह साबित होगा.
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