Israel Hamas War: इजराइल और हमास के बीच पिछले पौने दो साल से युद्ध जारी है. इजराइली हमलों से गाजा पूरी तरह से तबाह हो चुका है. जहां लोग खाने-पीने की बुनियादी चीजों के लिए तरह रहे हैं. इस बीच पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग गाजा के समर्थन में उतर आई हैं और वह एक जहाज में राहत सामग्री लेकर गाजा की ओर बढ़ रही हैं. बताया जा रहा है कि इजराइल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने इस जहाज को समुद्र में ही रोक लिया है और ग्रेटा थनबर्ग को हिरासत में ले लिया है.
जहाज पर सवार हैं कुल 11 लोग
बता दें कि इस जहाज पर ग्रेटा थनबर्ग समेत कुल 11 लोग सवार हैं जो मैडलीन नाम के जहाज से मानवीय सहायता लेकर गाजा जा रहे थे. इस का संचालन फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन कर रहा था. यरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, मैडलीन के संचालकों ने टेलीग्राम पर बताया कि आईडीएफ ने सोमवार सुबह करीब 3 बजे जहाज को रोक लिया. इसके बाद मौजूद सभी लोगों को कथित तौर पर गिरफ्तार कर लिया.
इसके बाद इजरायली नौसेना जहाज को अशदोद पोर्ट लेकर जा रही है. इससे पहले इजराइली डिफेंस फोर्स ने अनुमान लगाया था कि जहाज इजरायली क्षेत्र में करीब एक घंटा पहले ही पहुंच जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल की नौसेना ने कथित तौर पर मैडलीन से संपर्क किया था और उसे अपना रास्ता बदलने के निर्देश दिए थे. लेकिन जब उसने ऐसा नहीं किया तो आईडीएफ ने जहाज को रोक लिया.
इजराइल ने दी थी जहाज को रोकने की धमकी
इससे पहले इजराइल के रक्षा मंत्री ने पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और अन्य कार्यकर्ताओं को लेकर गाजा जा रहे जहाज को रोकने की चेतावनी दी थी. रक्षा मंत्री इजराइल कैट्ज ने रविवार को कहा कि इजराइल किसी को भी फिलस्तीनी क्षेत्र पर अपनी नौसैनिक नाकेबंदी तोड़ने की अनुमति नहीं देगा. इसके पीछे की वजह उन्होंने हमास को हथियार आयात करने से रोकना बताया था.
रविवार को रवाना हुआ था जहाज
बता दें कि मैडलीन नाम का ये जहाज पिछले रविवार को सिसिली से गाजा की समुद्री नाकेबंदी तोड़ने और मानवीय सहायता पहुंचाने के मिशन के साथ रवाना हुआ था. जिसका मकसद फिलस्तीनी क्षेत्र में बढ़ते मानवीय संकट के बारे में दुनिया को जागरूक करना था. इस जहाज पर सवार कार्यकर्ताओं ने कहा था कि उनकी योजना रविवार को ही गाजा के जलक्षेत्र में पहुंचने की है. इस जहाज पर यूरोपीय संसद की फ्रांसीसी सदस्य एवं फिलिस्तीनी मूल की रीमा हसन भी मौजूद हैं. फिलस्तीनियों के प्रति इजराइल की नीतियों का विरोध करने की वजह से कुछ समय पहले ही उन्हें इजराइल में प्रवेश करने से रोक दिया गया था.
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