अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को अपनी महत्वाकांक्षी मिसाइल डिफेंस प्रणाली ‘Golden Dome’ की जानकारी शेयर की. यह सिस्टम 175 अरब डॉलर की लागत से बनेगा और यह अमेरिका का पहला ऐसा हथियार होगा जो स्पेस बेस्ड वेपन होगा. ट्रंप के अनुसार, यह सिस्टम तीन साल में तैयार हो जाएगा, यानी उनके कार्यकाल के अंत तक.
ट्रंप ने बताया कि यह प्रणाली अमेरिका को ड्रोन और मिसाइल हमलों से बचाएगी. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कनाडा भी इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखा रहा है क्योंकि “वे भी सुरक्षा चाहते हैं.”
कनाडा के पीएम ने क्या कहा?
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने बुधवार को पुष्टि की कि उनकी सरकार अमेरिका के साथ इस परियोजना को लेकर बातचीत कर रही है. उन्होंने कहा, “कनाडा के लिए सुरक्षा प्रणाली होना ज़रूरी है. हम ज़रूरत पड़ी तो सहयोग करेंगे, लेकिन ज़रूरी नहीं कि हमेशा सहयोग हो.”
क्यों जरुरी है कनाडा?
हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि इस सिस्टम को कनाडा के बिना बनाना लगभग नामुमकिन है. आर्कटिक क्षेत्र में मिसाइल ट्रैकिंग के लिए कनाडा के रडार और एयरस्पेस की आवश्यकता होगी, जिससे इस सिस्टम की प्रभावशीलता तय होगी.
टैरिफ को लेकर दोनों देश आमने-सामने
कनाडा के सांसद और कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता शुवालॉय मजूमदार ने कहा, “हमें अभी भी नहीं पता कि यह रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी कैसे आकार लेगी.”अमेरिका और कनाडा के बीच हाल के वर्षों में टैरिफ वॉर और राजनीतिक तनाव ने रिश्तों में खटास ला दी है. इस कारण कनाडा अब अमेरिका के ऊपर दबाव बना सकता है.
क्या कहते हैं डिफेंस एक्सपर्ट?
सीनेट के सशस्त्र सेवा समिति के डेमोक्रेटिक सदस्य जैक रीड ने भी माना कि ट्रंप की बयानबाज़ी ने कनाडाई जनता और नेताओं में असंतोष बढ़ा दिया है, जिससे यह साझेदारी और भी जटिल हो गई है. NORAD पिछले 67 वर्षों से अमेरिका-कनाडा की वायु सुरक्षा में साझेदार है, जिसमें कनाडा अब तक 40% निवेश करता आया है और आने वाले 20 वर्षों में 38 अरब डॉलर और देगा.
पूर्व अमेरिकी जनरल ग्लेन वैनहर्क के अनुसार, “कनाडा की भौगोलिक स्थिति अमेरिका को रूस और चीन की गतिविधियों को बेहतर तरीके से ट्रैक करने में मदद देती है.” इसलिए अमेरिका की ‘Golden Dome’ योजना की सफलता कनाडा के सहयोग के बिना अधूरी है.
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