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Pakistan News: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) फैज हमीद का वह दौर अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है, जब उन्हें देश की राजनीति और सत्ता का सबसे प्रभावशाली चेहरा माना जाता था. गुरुवार, 11 दिसंबर को सैन्य अदालत ने उन्हें 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. इससे पहले उनके खिलाफ लगभग 15 महीनों तक कोर्ट मार्शल चला, जिसमें उन्हें चार गंभीर आरोपों में दोषी पाया गया.
आखिर क्यों फंसे फैज हमीद?
सैन्य अदालत के अनुसार, फैज हमीद ने वही गलतियां दोहराईं जो पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया व्यवस्था में वर्षों से देखी जाती रही हैं. राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका और गोपनीय जानकारी लीक करना और आधिकारिक गुप्त अधिनियम का उल्लंघन करने के चलते उनकी मुश्किलें बढ़ी हैं. इसके अलावा हमीद पर पावर का दुरुपयोग और सरकारी संसाधनों का गलत उपयोग करने में भी दोषी पाया गया है. इमरान के करीबी फैज पर व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाना और व्यक्तिगत एजेंडे को आगे बढ़ाना जैसे गंभीर आरोप लगे हैं.
इन सभी आरोपों पर विस्तृत सुनवाई के बाद अदालत ने माना कि उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल देश की सुरक्षा के बजाय व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए किया.
इमरान खान से करीबी और सत्ता की राजनीति
फैज हमीद को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का बेहद करीबी माना जाता था. यह तक चर्चा में था कि इमरान सरकार उन्हें ही अगला आर्मी चीफ बनाना चाहती थी. कहा जाता है कि इसी वजह से वे राजनीति में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप करने लगे थे.
लेकिन परिदृश्य बदल गया. इमरान खान जेल भेजे गए और नवंबर 2022 में जनरल असीम मुनीर सेना प्रमुख बने. यही वह मोड़ था जहां से फैज हमीद की मुश्किलें बढ़ीं. विडंबना यह है कि कभी मुनीर को हटाकर ही हमीद ISI चीफ बने थे.
अफगानिस्तान में चाय की तस्वीर और विवादों की कहानी
अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल कब्जे के बाद फैज हमीद की "चाय पीते" तस्वीर बेहद वायरल हुई थी. आलोचकों का कहना था कि वह क्षण उनके अत्यधिक आत्मविश्वास और राजनीतिक दखलंदाजी की प्रतीक बन गया.
कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया और आगे क्या?
सैन्य अदालत के अनुसार, फैज हमीद को हर कानूनी सुविधा और अपनी पसंद की वकील टीम मिली. इसके बावजूद वे खुद को निर्दोष साबित नहीं कर सके. अब उन्हें फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार है, लेकिन उनके खिलाफ राजनीतिक अस्थिरता फैलाने और आंदोलन भड़काने सहित अन्य मामलों की जांच भी अलग से चल रही है.
फैज हमीद का केस पाकिस्तान की सेना और राजनीति के संबंधों पर एक और कड़ा सवाल खड़ा करता है. जहां सत्ता के खेल में अक्सर शक्तिशाली चेहरे भी अपने ही सिस्टम में गिर जाते हैं.
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