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अफ़ग़ानिस्तान पाकिस्तान तनाव Photograph: (ani)
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते सीमा तनाव को कम करने के लिए दोहा में शनिवार को हुई पहली राउंड की वार्ता सकारात्मक माहौल में खत्म हुई. करीब चार घंटे तीस मिनट चली इस बंद-दरवाजा बैठक में दोनों पक्षों ने सुरक्षा और सीमा संबंधी मुद्दों पर सीधे बातचीत की.
रविवार को दूसरे दौर की चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल कतर में रातभर रुकेंगे और रविवार सुबह दूसरे दौर की चर्चा फिर शुरू होगी. साथ ही, एक फॉलो-अप बैठक भी अगले हफ्ते होने की संभावना है, जो इस बात का संकेत है कि तमाम मतभेदों के बावजूद बातचीत जारी रखने की इच्छा दोनों पक्षों में है.
बैठक की कौन-कौन कर रहा है अगुवाई
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक कर रहे हैं. बैठक की शुरुआत एक वरिष्ठ क़तरी अधिकारी ने की, जिसके बाद दोनों पक्षों ने सीधे मुद्दों पर बातचीत की.
पाकिस्तान ने क्लियर की रेड लाइन्स
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने वार्ता में अपनी रेड लाइन्स स्पष्ट कर दीं, जिसमें सीमित संघर्षविराम बढ़ाने और खोस्त–उत्तर वज़ीरिस्तान कॉरिडोर में अपनी सैन्य आवाजाही के लिए सेफ ज़ोन बनाने की मांग शामिल थी.
अफगानी अधिकारी ने क्या कहा?
वहीं अफगान तालिबान प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान की हवाई कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए, अपने कैदियों (TTP लड़ाकों) को रिहा करने की मांग रखी. एक तालिबान प्रतिनिधि ने कहा, “हम अपने देश की रक्षा के लिए बाध्य हैं. यह असमान लड़ाई है क्योंकि हमारे पास हवाई रक्षा नहीं है. कतर ने, पश्चिमी देशों के समर्थन से, दोनों पक्षों को साझा बयान जारी करने की सलाह दी है जिसमें एक-दूसरे पर आरोप लगाने की बजाय संयम बरतने की अपील हो.
दर्जन से अधिक लोगों की मौत
यह बैठक उस समय हो रही है जब दुरंड रेखा (Durand Line) के दोनों ओर भारी झड़पें हुई हैं, जिनमें दर्जनों लोगों की मौत हुई. शुक्रवार को 48 घंटे का संघर्षविराम खत्म होते ही पाकिस्तान ने अफगान सीमा पर हवाई हमले किए थे.
दोनों एक दूसरे पर लगा रहे हैं आरोप
दोनों देश एक-दूसरे पर आक्रामकता का आरोप लगा रहे हैं. तालिबान प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान पर अफगान संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जबकि इस्लामाबाद ने दोहराया कि TTP के आतंकियों को अफगान पनाह मिल रही है.
विश्लेषकों के अनुसार, शनिवार की वार्ता “सकारात्मक लेकिन सतर्क माहौल में हुई. अगर आने वाले दौर में कोई ठोस सहमति बनती है, तो यह दक्षिण एशिया की सबसे अस्थिर सीमाओं में शांति की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है.
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