Cyber Attack: यूरोप के एयरपोर्ट सिस्टम पर साइबर हमला, कई देशों में उड़ानें रद्द, हजारों यात्री फंसे

Cyber Attack: फ्लाइट ऑपरेशन में  देरी की समस्या भी सामने आई. इस दौरान हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा, एयरलाइंस ने इस असुविधा को लेकर माफी मांगी है

Cyber Attack: फ्लाइट ऑपरेशन में  देरी की समस्या भी सामने आई. इस दौरान हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा, एयरलाइंस ने इस असुविधा को लेकर माफी मांगी है

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Mohit Saxena
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airport Photograph: (social media)

यूरोप के कई प्रमुख हवाई अड्डों पर शनिवार को हड़कंप मंच गया. यहां पर शनिवार को साइबर हमला हुआ. इनमें लंदन का हीथ्रो, बेल्जियम का ब्रुसेल्स और जर्मनी के बर्लिन एयरपोर्ट थे. ये हमले चेक-इन और बोर्डिंग सिस्टम से जुड़ी सर्विस देने वाली कंपनी कोलिंस एयरस्पेस को निशाना बनाकर किए गए. साइबर हमले के कारण  कई उड़ानों को रद्द कर दिया गया. फ्लाइट ऑपरेशन में देरी की समस्या भी सामने आई. इस दौरान हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा.  यूरोप के कई  हवाई अड्डों ने यात्रियों को अपना फ्लाइट स्टेटस चेक करने की अपील की है. एयरलाइंस ने इस असुविधा को लेकर माफी मांगी है.

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बोर्डिंग सिस्टम वाली सेवाओं पर असर हुआ

ब्रुसेल्स एयरपोर्ट की ओर से आए बयान में जानकारी दी गई कि हमले का अर्थ है कि वहां केवल मैनुअल चेक-इन और बोर्डिंग ही हो सकेगी. बर्लिन के ब्रांडेनबर्ग एयरपोर्ट के अफसरों ने बताया कि पैसेंजर हैंडलिंग सिस्टम के एक सर्विस प्रोवाइडर पर हमला किया गया. इसके बाद एयरपोर्ट के संचालकों को सिस्टम से कनेक्शन ही हटाना पड़ा. पूरे यूरोप के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे हीथ्रो ने इसे एक तकनीकी समस्या बताया. एयरपोर्ट के अनुसार, इससे चेक-इन और बोर्डिंग सिस्टम वाली सेवाओं पर असर हुआ है. हीथ्रो ने बयान जारी करते हुए कहा, दुनिया भर के कई एयरपोर्ट्स पर चेक-इन और बोर्डिंग सिस्टम सर्विस देने वाली कंपनी तकनीकी समस्या का सामना कर रही है. इससे प्रस्थान करने वाले यात्रियों को देरी भी हो सकती है. इस दौरान फ्रांस ने कहा कि साइबर अटैक का असर केवल कुछ हवाई अड्डों पर हुआ है. पेरिस के रोइसी,ओरली और ले बौर्जेट हवाई अड्डों पर किसी तरह समस्या नहीं आई है.

चेक-इन करने की सुविधा नहीं देती

कोलिन्स एयरोस्पेस के पोर्टल पर साइबर अटैक हुआ है. यह एक अमेरिकी कंपनी विमानन और रक्षा तकनीक कंपनी मानी जाती है. यह आरटीएक्स कॉर्प की सहायक कंपनी है, जिसे पहले रेथियॉन टेक्नोलॉजीज कहा जाता था. कंपनी ने बताया कि वह यात्रियों को सीधे चेक-इन करने की सुविधा नहीं देती, लेकिन ऐसी तकनीक बनाती है जिससे यात्री खुद ही कियोस्क मशीन से चेक-इन कर सकते हैं. बोर्डिंग पास और बैग टैग छाप सकते हैं. इस तरह से अपना सामान खुद भेज सकते हैं. 

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