/newsnation/media/media_files/2025/12/11/bangladesh-president-shahbuddin-2025-12-11-22-50-14.jpg)
Bangladesh President Shahabuddin: बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अपने कार्यकाल के मध्य में ही पद छोड़ने की इच्छा जताकर देश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. 75 वर्षीय शहाबुद्दीन ने रॉयटर्स को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि अंतरिम सरकार, जिसे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनाया गया है उसने उन्हें अपमानित किया है. यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक निर्णयों में भी उन्हें पूरी तरह दरकिनार कर दिया है. बकौल शहाबुद्दीन यह परिस्थिति उनके संवैधानिक पद की गरिमा के विपरीत है.
छात्र विद्रोह के बाद बढ़ी राष्ट्रपति की भूमिका
बता दें कि अगस्त 2024 में हुए छात्र आंदोलन ने बांग्लादेश की राजनीति को उलट-पुलट कर दिया था. लंबे समय तक सत्ता में रहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना जब विरोध प्रदर्शनों के दौरान नई दिल्ली भागने को मजबूर हुईं, तब संसद भी भंग हो चुकी थी. ऐसे हालातों में राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ही देश के अंतिम संवैधानिक प्राधिकरण के रूप में बचे. हालांकि यह पद औपचारिक माना जाता है, लेकिन उस दौर में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण उनकी भूमिका चर्चा के केंद्र में आ गई.
शहाबुद्दीन का 'दबा दी गई मेरी आवाज'
साक्षात्कार में शहाबुद्दीन ने बताया कि अंतरिम प्रधानमंत्री यूनुस पिछले सात महीनों से उनसे मिलने तक नहीं आए. उन्होंने आरोप लगाया कि उनका प्रेस विभाग उनसे छीन लिया गया. विदेशों में मौजूद बांग्लादेशी दूतावासों से उनके आधिकारिक चित्र अचानक हटवा दिए गए. यही नहीं सरकार की तरफ से उनकी भूमिका को कमजोर करने की कोशिशें जारी हैं.
राष्ट्रपति की मानें तो दूतावासों से उनकी तस्वीर हटाना जनता को भ्रमित करता है और यह संदेश देता है कि शायद राष्ट्रपति को पद से हटा दिया गया है, जिससे वे गहराई से 'अपमानित' महसूस करते हैं.
संविधान के अनुसार पद पर बने रहूंगा: शहाबुद्दीन
हालांकि उन्होंने स्पष्ट कहा कि फरवरी 2025 के संसदीय चुनाव होने तक वे अपने पद पर बने रहेंगे, क्योंकि संविधान इसके लिए बाध्य करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद वह पद छोड़ने में देरी नहीं करना चाहते. उनके मुताबिक, अब इस पद पर बने रहने की मेरी रुचि खत्म हो चुकी है.
अगली सरकार किसकी? राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा
हालिया सर्वेक्षणों में दिखाया गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी आगामी चुनावों में प्रमुख दावेदारों के रूप में उभर रहे हैं. ये दोनों 2001 से 2006 तक सत्ता में रह चुके गठबंधन का हिस्सा थे.
हसीना से संपर्क पर चुप्पी
जब यह पूछा गया कि क्या भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भागने के बाद उनसे संपर्क किया, तो राष्ट्रपति ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद वे पूरी तरह स्वतंत्र हैं और किसी राजनीतिक दल से उनका कोई सीधा संबंध नहीं है.
बांग्लादेश में अस्थिरता के संकेत
राष्ट्रपति शहाबुद्दीन का खुला बयान यह दर्शाता है कि अंतरिम सरकार और राष्ट्रपति कार्यालय के बीच गंभीर मतभेद हैं. चुनावों से पहले ऐसे संकेत बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा सकते हैं, जिससे आने वाले महीनों में देश के सत्ता समीकरणों में बड़ा बदलाव संभव है.
यह भी पढ़ें - Bangladesh Election 2026: हसीना बाहर, ये 3 पार्टियां मैदान में; बांग्लादेश में 12 फरवरी को कौन बनेगा नया ‘बादशाह’?
/newsnation/media/agency_attachments/logo-webp.webp)
Follow Us