Bangladesh: शेख हसीना की बढ़ सकती है मुसीबत, छह माह की जेल के बाद अब इस मामले में होगी सुनवाई

Bangladesh: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुसबीतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. उनके खिलाफ एक बार फिर से 10 तारीख को आरोप तय किए जाने की परमिशन दी जा सकती है.

Bangladesh: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुसबीतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. उनके खिलाफ एक बार फिर से 10 तारीख को आरोप तय किए जाने की परमिशन दी जा सकती है.

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Jalaj Kumar Mishra
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Bangladesh: बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईसीसी) दो दिन बाद यानी 10 जुलाई को फैसला करेगा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर आरोप तय किए जाएंगे या फिर नहीं. हसीना के साथ-साथ उनके दो और सहयोगी भी इस मामले में शामिल हैं. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अबदुल्ला अल मामुन पर आरोप है कि पिछले साल जुलाई में विद्रोह के दौरान, उन्होंने मानवता के खिलाफ कार्रवाई की थी. 

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Bangladesh: 10 जुलाई को तय किए जाएंगे आरोप

10 जुलाई को ही न्यायलय वकीलों की उन याचिकाओं को भी सुनेंगे, जिसमें कहा गया है कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं. उन्हें सिर्फ खारिज किया जाना चाहिए. बता दें, तीनों के खिलाफ एक जून को पांच आरोप लगाए गए थे. अभियोजन पक्ष ने पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व गृहमंत्री और पूर्व डीजीपी के खिलाफ हत्या, घातक हथियारों का इस्तेमाल, हत्या का प्रयास और प्रताड़ना सहित कई आरोप दायर किए थे. 

Bangladesh: शेख हसीना को सुनाई जा चुकी छह माह की जेल

बता दें, पिछले बुधवार को ही हसीना को आईसीसी ने कोर्ट की अवमानना के आरोप में छह माह के जेल की सजा सुनाई थी. खास बात है कि इतिहास में पहली बार आवामी लीग के नेता को पद छोड़ने के बाद किसी मामले में सजा सुनाई गई हो. खास बात ये भी है कि हसीना को पहली बार सजा सुनाई गई है.  

Bangladesh: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री को छह महीने की जेल, इस मामले में सुनाई गई सजा

Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही है ज्यादती

पिछले साल शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत में शरण ले ली है. हसीना के इस्तीफा देते ही बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों और उनके व्यापारिक प्रतिष्ठानों को आग के हवाले कर दिया गया था. चरमपंथियों ने हिंदुओं को जिंदा जला दिया था. सरकारी नौकरी कर रहे हिंदुओं को जान से मारने की धमकी दी गई और उनसे जबरन इस्तीफा लिया गया. सैकड़ों हिंदुओं को चरमपंथियों के कारण सरकारी पदों से इस्तीफा देना पड़ गया. हजारों-सैकड़ों हिंदुओं के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को फूंका गया. चरमपंथियों ने यहां तक की हिंदुओं के देवी-देवताओं की प्रतिमाओं तक को नष्ट किया, उन्होंने मंदिरों में भी तोड़फोड़ मचाई.

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