नेपाल में उग्र प्रदर्शन, पूर्व पीएम झलनाथ खनाल के घर पर हमला, पत्नी की मौत

नेपाल के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने स्थिति को अस्थिर कर दिया है. सोमवार से शुरू हुए "जेन जे आंदोलन" ने सरकार की नींव हिला दी है. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर को आग के हवाले कर दिया. आगजनी में उनकी पत्नी राजलक्ष्मी गंभीर रूप से घायल हो गईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

नेपाल के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने स्थिति को अस्थिर कर दिया है. सोमवार से शुरू हुए "जेन जे आंदोलन" ने सरकार की नींव हिला दी है. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर को आग के हवाले कर दिया. आगजनी में उनकी पत्नी राजलक्ष्मी गंभीर रूप से घायल हो गईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

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Ravi Prashant
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पूर्व पीएम के घर पर हमला Photograph: (NN)

नेपाल की राजनीति इस समय भीषण संकट में है. राजधानी काठमांडू और देश के कई हिस्सों में फैले उग्र प्रदर्शनों ने हालात को अस्थिर कर दिया है. सोमवार से शुरू हुए “Gen Z आंदोलन” ने सरकार की नींव हिला दी है.

पूर्व पीएम झलनाथ की पत्नी की हत्या

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सबसे बड़ा हमला मंगलवार को हुआ, जब गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर को आग के हवाले कर दिया. आगजनी में उनकी पत्नी राजलक्ष्मी गंभीर रूप से घायल हो गईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. 

पीएम ऑफिस लेकर सुप्रीम कोर्ट में आगजनी

प्रदर्शनकारियों का गुस्सा यहीं नहीं थमा. उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक को निशाना बनाया. कई इलाकों में सरकारी इमारतों और नेताओं के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की खबरें हैं. 

300 से भी ज्यादा नंबर्स

सोमवार को शुरू हुए इस आंदोलन में अब तक 22 लोगों की मौत हो गई है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं. अस्पतालों में घायलों की भीड़ लगी हुई है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, युवाओं का कहना है कि भ्रष्टाचार और सरकार की तानाशाही रवैया अब बर्दाश्त से बाहर हो चुका है.

कैसे सब कुछ हुआ स्टार्ट? 

दरअसल, हाल ही में नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स (ट्विटर), लिंक्डइन और कई अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगा दी थी. सरकार का तर्क था कि सोशल मीडिया पर फैल रही गलत सूचनाओं से हिंसा बढ़ रही है, लेकिन जनता और खासकर युवाओं ने इसे अपनी आवाज़ दबाने की कोशिश बताया. यही फैसला बड़े पैमाने पर विरोध की आग भड़काने का कारण बना.

क्या सेना संभालेगी सत्ता? 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल में फैला यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ जनता का गुस्सा है. अब तक सरकार की ओर से हालात को काबू करने की ठोस पहल नहीं हुई है, जिससे स्थिति और विस्फोटक हो रही है. नेपाल की मौजूदा स्थिति पड़ोसी देशों के लिए भी चिंता का विषय बन गई है. सवाल उठ रहा है कि क्या सेना सीधे सत्ता संभालेगी 

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